लावारिस शहर (उपदेश अवस्थी)/ दिनभर से रीवा राइसमिल का मामला चल रहा है। टीवी पूरी तरह से गरमा गया है, शुरूआत में कुछ चैनलों ने मिल मालिक के बारे में छानबीन की लेकिन जैसे ही पता चला कि मिल मालिक मध्यप्रदेश के ऊर्जा मंत्री के भाई हैं, सब के सब चुप हो गए।
मामला एक दर्जन मजदूरों की मौत और दो दर्जन से ज्यादा मजदूरों के घायल होने का है। गंभीरता कतई कम नहीं है, परंतु तार ऊर्जा मंत्री से जुड़े हैं तो मिल मालिक पर कोई उंगली ही नहीं उठा रहा।
रीवा में प्रशासन मुस्तैद दिखा। फौरन पूरे अधिकारी पहुंचे, मलवा हटाया, घायलों को बाहर निकाला, लाशें भी निकलीं। एक के बाद एक लगातार लाशें निकलतीं ही चलीं गईं। इस बीच खुलासा भी हुआ कि मजदूरों और कारीगरों ने बताया था कि मसाला कम डाला जा रहा है, मिल मालिक को बताया भी गया था लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया और यह हादसा हो गया।
प्रभारीमंत्री गए, मुख्यमंत्री की ओर से सहायता राशि की घोषणा कर आए। माननीय मंत्रीजी ने जनता का आक्रोश देखते हुए वहां जाने की कोशिश ही नहीं की। पूरे दिन दुबके रहे। टीवी चैनलों ने शुरूआत में तो क्रांतिकारी की तरह पूरे मामले की बखिया उधेड़ने की कोशिश कीं, लेकिन शाम होते होते सारे के सारे चैनल मुरझा गए।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने तो इस मामले में हाथ डालना ही उचित नहीं समझा। मुख्यमंत्री का नियमित बयानी विरोध करने की परंपरा निभाई। रीवा से जुड़े होने के कारण नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने बयान जारी किया, परंतु बयान में 5 लाख सहायता की मांग और जांच की मांग की।
समझ नहीं आ रहा, कौन सी जांच कराने की कोशिश की जा रही है। दर्जन भर मजदूरों की मौत के जिम्मेदार मिल मालिक को अरेस्ट क्यों नहीं किया जा रहा। जो जांच करना है बाद में कर लेना। सबसे पहले प्रकरण दर्ज करो, अरेस्ट करो, फिर जांच करो।
रीवा में लाशें पड़ीं हैं, मौतों का जिम्मेदार खुलेआम घूम रहा है। यदि यही हादसा किसी बनिए की मिल में हो गया होता तो अब तक मिल सील, दुकान सील, घर सील और मालिक को लाठियां पड़ रहीं होतीं। अदना सा सिपाही भी गालियां देकर बातें करता, लेकिन इस मामले में आरोपी व्हीआईपी है। ऊर्जा मंत्री राजेन्द्र शुक्ला का भाई है, इसलिए कोई कार्रवाई नहीं की गई।
अब तो शाम भी डूब गई है। स्थानीय स्तर पर कोई आंदोलन नहीं हो रहा है। कांग्रेस का विरोध फिक्स है। उम्मीद नहीं की जा सकती कि व्हीआईपी मिल मालिक के खिलाफ कोई कार्रवाई हो पाएगी।
धन्यवाद शिवराज