इनकी महानता को किसी नोबेल की दरकार नहीं - inspirational story in Hindi

Bhopal Samachar
ज्योति प्रकाश देहलीवाल
। जमाना बहुत-बहुत ही ख़राब है! आज की दुनिया में कोई किसी का नहीं है! सब स्वार्थी है! सभी अमीरों के आगे-पीछे घूमते रहते है! ग़रीबों को कोई नहीं पूछता!

ये सभी जुमले हम कई बार सुनते है। इन वाक्यों में कुछ सच्चाई भी है लेकिन आज भी कुछ महान लोग ऐसे है, जो चुपचाप अपने महान कार्य करते रहते है। बिना कोई तामझाम के, बिना कोई शोरगुल के! सच्चे अर्थों में मानवता के पुजारी! इतने महान कि इनकी महानता के आगे, महानता खुद नतमस्तक हो जाए! सभी नोबल पुरस्कार बौने साबित हो!

कौन है ये महान लोग?

ये महान लोग है, केईएम अस्पताल, मुंबई के सभी कर्मचारी। दि. 27 Nov 1973 को उसी अस्पताल की एक नर्स अरुणा शानबाग पर, अस्पताल के एक वार्ड बॉय सोहनलाल वाल्मीकि ने, अरुणा की ईमानदारी का बदला लेने के लिए, कुत्ते को बांधने वाली जंजीर से उसका गला घोंटा और फिर निर्मम बलात्कार किया। जंजीेर के कसाव से अरुणा के दिमाग तक खून पहुँचाने वाली नसे फट गई। शरीर को लकवा मार गया। 42 वर्षों तक अरुणा कोमा में रही।

हादसे के बाद अरुणा के रिश्तेदारों ने उनसे नाता तोड़ दिया. अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि पिछले 42 सालों में उनका कोई भी रिश्तेदार न उनसे मिलने आया और न ही किसी ने कोई ख़बर ली। पिछले सोमवार को याने दि.18 May 2015 को अरुणा की मौत हो गई।

केईएम अस्पताल की नर्सों ने पिछले चार दशक से अरुणा की जी-जान से सेवा की और उनका ख़याल रखा. अस्पताल ही उसका स्थाई ठिकाना बना रहा। इतने वर्षों तक तो घर-परिवार के लोग भी देखभाल नहीं कर पाते, उकता जाते है! उन्हें बीमार की मौत का इंतजार रहता है।अरुणा की सेवा और देखभाल करने में गैरों ने अपनों को मात दे दी! इस बात का सबूत दे दिया कि दुनिया में सबसे ऊपर यदि कुछ है, तो वो है मानवता!

उनकी इस हालत को देखकर, केईएम अस्पताल की पूर्व नर्स पिंकी वीरानी ने 2011 में उच्चतम न्यायालय में उनके लिए इच्छा मृत्यु की माँग करते हुए याचिका दायर कर दी लेकिन ये याचिका ख़ारिज हो गई।

आज जहाँ किसी को, किसी अपनों के लिए वक्त नहीं है, उस दौर में किसी गैर की, बिना किसी स्वार्थ के पूरे 42 साल तक देखभाल करना, यह अपने-आप में एक मिसाल है। मैं व्यक्तिगत रूप से भी इन सभी नर्सों को, उनके महान कार्य के लिए बधाई देती हूं! सच में इनकी महानता नोबल पुरस्कारों से भी ऊँची है।
अंत में बस इतना ही कहूँगी,

छोटे लोग पैसों की बात करते है,
बड़े लोग टाइम की बात करते है,
महान लोग बात ही नहीं करते,
वो सिर्फ काम करते है!!"

ज्योति प्रकाश देहलीवाल
jyotidehliwal708@gmail.com

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