अपने प्रियजनों की मौत के बाद उनकी यादों और उनसे जुड़ी चीजों को भूल पाना काफी मुश्किल होता है लेकिन भारत ऐसी अजीबो-गरीब परंपराओं से भरा देश है, जहां मौत के बाद कहीं खुशियां मनाई जाती हैं तो कहीं गम।
मौत के बाद पूरा घर ही छोड़ देती है
झारखंड के बस्तर में एक जनजाति ऐसी भी जो घर में किसी की मौत के बाद पूरा घर ही छोड़ देती है। बस्तर की बैगा जनजाति एक ऐसा समुदाय है जो अन्य जनजातियों और समुदाय के लोगों से ज्यादा मिलना-जुलना पसंद नहीं करते हैं। ये जनजाति अलग-थलग ही रहना पसंद करती है।
अनोखी परंपराओं के कारण पूरे विश्व में जाना जाता है
बस्तर का यह अदिवासी समाज अपनी अनोखी परंपराओं के कारण पूरे विश्व में जाना जाता है। बैगा अपने किसी परिजन की मौत के बाद ये अपना घर छोड़ देते हैं। इसके बाद ये लोग अपने लिए कहीं और भूमि तलाशते हैं और नई जगह पर जाकर अपने लिए नया घर बनाते हैं।
कुल देवता के प्रकोप से बचने घर छोड़ देते हैं
बैगा नई जगह और नए घर में एक बार फिर से अपनी नई गृहस्थी बसाते हैं और नए सिरे से जिंदगी की शुरुआत करते हैं। बैगा जनजाति मुख्य रूप से मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के जंगलों में रहती है। बैगाओं की मान्यता है कि किसी भी परिजन की मौत होने पर उनके कुल देवता के नाराज होने के कारण ही उनके परिजन की मौत हुई है। भविष्य में कुल देवता का प्रकोप परिवार के अन्य सदस्यों को न झेलना पड़े इसलिए वे पुराना मकान में रहना छोड़ देते हैं।
इस दौरान वे अपने किसी रिश्तेदार के घर में रहते हैं और पुराने मकान को ढहा देते हैं। इसके बाद नई जगह तलाशते हैं और वहां अपना नया आशियाना बसाते हैं। इस नए घर में वे पूरे विधि-विधान से कुल देवता की स्थापना करते हैं। दक्षिण बस्तर के कटेकल्याण क्षेत्र के अलावा पखनार, बास्तानार, अलनार, छिंदबहार, तथा चंद्रगिरी आदि इलाकों में रहने वाले आदिवासियों में वर्षों से यह अजीबो-गरीब यह परंपरा चली आ रही है।