सीएम बनना चाहते हैं डिबेट में सबसे फिसड्डी कमलनाथ

Bhopal Samachar
भोपाल। छिंदवाड़ा के सांसद यूं तो कभी छिंदवाड़ा में ही नहीं रहते। मप्र और इस राज्य की मिट्टी से भी उनका कोई रिश्ता नहीं है। वो तो केवल इंदिरा गांधी के हाथों गिफ्ट में मिली छिंदवाड़ा सीट के सांसद भर हैं, लेकिन इन दिनों मप्र की राजनीति में दखल बढ़ाने के लिए बढ़े उत्सुक हैं। सुना है सीएम बनना चाहते हैं और इसके लिए पर्याप्त केंपेन भी चल रहा है परंतु एक रिपोर्ट में खुलासा हो रहा है कि कमलनाथ तो लोकसभा में डिबेट करते ही नहीं। इस मामले में वो 100 टका फिसड्डी हैं। 

राजनीति में भाषण और बहस का बड़ा महत्व होता है। अटल बिहारी वाजपेयी की तो पहचान ही यही थी। दुनिया जानती है कि मप्र में उमा भारती और शिवराज सिंह चौहान सीएम की कुर्सी तक कैसे पहुंचे। यदि लोकलुभावन भाषण की कला उनके पास ना होती तो उमा आज भी टीकमगढ़ में ही होतीं और शिवराज सन्यासी। 

लोकसभा में और लोकसभा के बाहर उस वक्त जबकि कांग्रेस को अपने योद्धाओं की सबसे ज्यादा जरूरत है। कमलनाथ पता नहीं कहां गायब रहते हैं। 16 वीं लोकसभा के दो साल के कार्यकाल पूरा होने पर संसदीय काम-काज पर शोध करने वाली पीआरएस एजेंसी ने मप्र के सांसदों को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है। रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक 16 वीं लोकसभा में अब तक आठ सत्र आयोजित हुए है। मप्र के सांसदों में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सर्वाधिक 28 बहस में भाग लिया और सरकार को निशाना बनाया परंतु कमलनाथ ने एक भी बहस में हिस्सा नहीं लिया। वो भाजपा के हर हमले पर चुप रहे। 

लोकसभा के बाहर यहां मप्र में भी शिवराज सिंह सरकार को घेरने के लिए कमलनाथ ने कभी कोई मुद्दा नहीं उठाया। दवा घोटाला, व्यापमं कांड, रेत माफिया जैसे तमाम मामलों में कमलनाथ ज्यादातर चुप ही रहे। जिस तरह से दिग्विजय सिंह ने खुलासे किए, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हमले किए, वैसी लीडरशिप कमलनाथ ने कभी प्रदर्शित नहीं की। अलबत्ता कांतिलाल भूरिया उपचुनाव से आने के बाद भी शिवराज सरकार को घेरने के मामले में कमलनाथ से आगे रहे।
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