
बड़ी अजीब सी स्थिति है। भारत और पाकिस्तान के बीच। वो घुसपैठिए भेज रहा है, आपकी आतंकवादी को शहीद का दर्जा दे रहा है। कारगिल जैसा हमला कर चुका है। कश्मीर में घुसकर उपद्रव करवा रहा है। उनका प्रधानमंत्री अधिकृत बयान जारी कर रहा है। उनकी संसद में कश्मीर को लेकर संकल्प जारी हो रहे हैं और यहां फिल्मकार, पाकिस्तानी कलाकारों को गले लगा रहे हैं। खेल प्रतियोगिताएं आयोजित करने वाली संस्थाएं पाकिस्तानी खिलाड़ियों के सामने मुजरा करतीं हैं। भारतीय मीडिया, पाकिस्तानी पत्रकारों को प्रमुख स्थान दे रही है। यहां तक कि भारत की सरकार पाकिस्तान के साथ किसी भी संधी और व्यापारिक व्यवहार को तोड़ने के लिए तैयार नहीं है।
समझ नहीं आता कि केवल भारतीय सेना ही क्यों गोला बारूद का सामना कर रही है। कहते हैं दुश्मन देश का हर नागरिक दुश्मन होता है। उससे किसी प्रकार का कोई संबंध नहीं होता लेकिन भारत पाकिस्तान के मामले में ऐसा तो कतई नहीं है। पाकिस्तान अपना दुश्मन धर्म पूरी शिद्दत से निभाता है लेकिन भारत में बस कुछ नेताओं के बयानों में पाकिस्तान दुश्मन दिखता है। जरा सोचिए, जैसे बॉलीवुड, बीसीसीआई और भारतीय कार्पोरेट्स ने पाकिस्तान को गले लगा रखा है, यदि सेना ने भी लगा लिया तो...।
60 साल हो गए, शांति के प्रयोग करते करते। कब तक करते रहोगे। हर नए दिन के साथ वो थोड़ा और ताकतवर हो जाता है और हम थाड़ा और तनाव में आ जाते हैं। हर नया प्रधानमंत्री अपने नजरिए से मुद्दे को सुलझाने की कोशिश शुरू करता है और हर प्रधानमंत्री की कोशिश वहीं पर जाकर खत्म हो जाती है जहां पंडित जवाहरलाल नेहरू ने खत्म की थी। भारत में सरकारें ना तो कश्मीर के मुद्दे पर बनतीं हैं और ना ही गिरतीं हैं। फिर भी हर सरकार इस मुद्दे को उलझाए रखती है। जानना जरूरी है, आखिर क्यों। कहीं कोई डॉलर्स का खेल तो नहीं।