किसानों पर भड़क गए नंदकुमार सिंह, भरी सभा में खरी-खोटी सुनाई

Bhopal Samachar
खंडवा। पंधाना रोड स्थित सब्जी मंडी में रविवार को किसानों की चौपाल में आए सांसद नंदकुमारसिंह चौहान उस समय भड़क उठे जब एक किसान ने प्याज की फसल बर्बाद होने की पीड़ा बताई। सांसद को यह बात इतनी नागवार गुजरी कि वे मंच छोड़कर जाने लगे। भारतीय किसान संघ के पदाधिकारियों ने उन्हें मनाकर अपनी बात रखने के लिए राजी किया। इसके बाद मंच से सांसद ने पूरे भाषण में किसानों पर खूब तंज कसे।

लंबे समय से फसल का लाभकारी मूल्य तय किए जाने और हर खेत में पानी उपलब्ध कराने जैसी प्रमुख मांगें उठा रहे किसानों से मिलने के लिए रविवार को सांसद नंदकुमारसिंह चौहान खंडवा पहुंचे। सब्जी मंडी में सुबह 11 बजे किसान चौपाल हुई जबकि सांसद तीन घंटे देरी से यहां पहुंचे। ज्ञापन सौंपे जाने और किसानों की समस्या सुनने के बाद सांसद ने मंच संभाला। उन्होंने फसल बर्बादी को लेकर कहा कि कभी प्याज के भाव आसमान छू जाते हैं तो कभी मिट्टी में मिल जाते हैं।

इसी दौरान मंच पर प्याज की माला पहनकर बैठे ग्राम माकरला के विकास वागुड़दे ने कहा कि प्याज के भाव तो मिट्टी में मिल ही रहे हैं। किसान बर्बाद हो रहे हैं। अच्छा भाव रहता तब तो आप मालाएं पहनते हो। किसान के इतना कहते ही सांसद भड़क गए और कहा कि मैंने तुम्हारी सुन ली है अब मेरी बात भी सुनना पड़ेगी। अगर मुझे नहीं सुनना है तो मैं आपका ज्ञापन लेकर चला जाता हूं। आप बता दो ज्ञापन कहां पहुंचाना है पहुंचा दूंगा। इसके बाद किसानों ने सांसद को मनाकर दोबारा भाषण देने के लिए राजी किया।

भाषण के दौरान सांसद ने मंच से किसानों पर तंज कसते हुए कहा कि मीठा-मीठा गप और कड़वा-कड़वा थू ऐसी राजनीति नहीं चलती। मैंने आपका ज्ञापन पढ़ा। इसमें रोना ही रोना है। मुस्कान दिखी ही नहीं। सांसद ने कहा कि मैं दाम तो बढ़ाकर नहीं दिला सकता। फसल बिगड़ने पर 154 करोड़ रुपए का मुआवजा एक जिले में सरकार ने दिया है। पिछले 50 साल में भी यदि 150 करोड़ रुपए बंटे हों तो मैं मंच से उतर जाऊंगा और कान पकड़कर उठक-बैठक लगा लूंगा। सांसद ने कहा कि कांग्रेस के समय में कुछ मिला नहीं और आज जो दे रहा है उसकी बढ़ाई नहीं कर रहे हैं। ये कैसी राजनीति है।

लिखा हुआ लाकर बताऊंगा
किसानों द्वारा सौंपे गए ज्ञापन को गंभीरता से लेते हुए सांसद ने कहा कि मैं फसल के लाभकारी मूल्य के लिए किसानों की आवाज लोकसभा में उठाऊंगा। किसानों ने अरमानों और उम्मीदों के साथ सरकार को चुना है तो सरकार को भी सुननी ही पड़ेगी। ये मैं किसान होने के नाते कह रहा हूं। आपकी बात प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री तक पहुंचाई जाएगी। लोकसभा में जो बात मैं रखूंगा वह लिखा हुआ भी लाकर बताऊंगा।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!