भोपाल। मप्र की शिवराज सिंह सरकार मंदिरों की प्राचीन परंपराओं में दखल देने की रणनीति पर लगातार काम कर रही है। अब मप्र में एक महिला संस्कृत स्कूल की शुरूआत की जा रही है। इस स्कूल में महिलाओं को पंडित/पुजारी बनाया जाएगा। स्कूल शिक्षा मंत्री कुँवर विजय शाह ने पिछले दिनों भोपाल में हुई बैठक में स्कूल स्थापना के निर्देश दे दिए हैं।
स्कूल शिक्षा मंत्री ने छात्राओं एवं महिलाओं को पण्डित बनाने के लिये संस्कृत संस्थान को विशेष प्रयास किये जाने के लिये कहा। बैठक में 14 नवीन संस्कृत विद्यालय और 154 पुराने संस्कृत विद्यालय, महाविद्यालय, अशासकीय विद्यालय के नवीनीकरण के प्रस्ताव का भी अनुमोदन किया गया। उन्होंने इन सभी संस्थान का नियमित निरीक्षण किये जाने के लिये कहा। बैठक में तय किया गया कि महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान की वेबसाइट www.mpss.nic.in तैयार की जाये।
अब सरकार नियुक्त करेगी मंदिरों के पुजारी
बैठक में तय किया गया कि शासकीय मंदिर, मठ एवं ट्रस्ट के मंदिरों में विद्वानों और पण्डितों/पुजारियों की नियुक्ति संस्कृत संस्थान के माध्यम से किये जाने का प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को भेजा जाये। बैठक में निर्देश दिये गये कि संस्कृत परीक्षा के लिये परीक्षा-केन्द्र आगामी वर्ष से विकासखण्ड-स्तर पर भी बनाये जायें।
महिलाएं पुजारी क्यों नहीं बन सकतीं
मंदिरों में ठाकुरजी की स्थापना होती है। शास्त्रानुसार ठाकुरजी की नियमित सेवा अनिवार्य है। यह किसी भी पुजारी के लिए सबसे कड़ा अनुशासन होता है। पंचांग के अनुसार समय निर्धारित होता है। यह प्रतिदिन होता है। हर हाल में प्रतिदिन, जबकि महिलाएं प्रतिमाह मासिक धर्म से होतीं हैं। ऐसे में वो उन दिनों में ठाकुरजी की सेवा के लिए नियमित नहीं रह सकेंगी। यदि यह सेवा खंडित हो गई तो मंदिर में व्याप्त सभी सकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाएगी। केवल यही कारण है कि महिलाओं को मंदिरों में पुजारी नहीं बनाया जा सकता।