भोपाल। चुनावी तैयारियों में जुटी शिवराज सिंह चौहान सरकार की रणनीति थी कि चुनावी साल में भर्ती परीक्षाओं का आयोजन करके उसे फायदा होगा। लोगों को नौकरियां मिलेंगी और भाजपा को वोट लेकिन पटवारी परीक्षा मामले में कुछ उल्टा ही हो गया। शिवराज सिंह सरकार को करीब 5 लाख वोटों का नुक्सान हुआ है। इस दौरान कोई बड़ा हंगामा नहीं हुआ इसलिए सरकार समझती रही कि सबकुछ अच्छा जा रहा है परंतु जो उम्मीदवार पैर पटकते हुए वापस लौटे, वो और उनके परिवारों का गुस्सा सोशल मीडिया पर साफ दिखाई दिया।
प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (पीईबी) द्वारा आयोजित पटवारी भर्ती परीक्षा 29 दिसम्बर को समाप्त हो गई। यह मप्र की सबसे बड़ी आॅनलाइन परीक्षा थी। इस परीक्षा में 10 लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था परंतु 8.67 लाख अभ्यर्थी ही परीक्षा दे पाए। 1.53 लाख अभ्यर्थी परीक्षा नहीं दे पाए।
परीक्षा नहीं दे पाने वालों में 1 लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों की संख्या ऐसी है जो शिवराज सिंह सरकार की परीक्षा व्यवस्थाओं से नाराज हैं। बायोमेट्रिक सत्यापन में काफी समस्याएं आईं। कुछ लोग शिकायतें लेकर पीईबी तक भी आए लेकिन उनकी शिकायतें ही नहीं ली गईं। पीईबी के अधिकारी बार बार यह कहकर उम्मीदवारों को भगाते रहे कि वो परीक्षा केंद्र में देरी से आए थे इसलिए उन्हे प्रवेश नहीं दिया गया। बहुत ज्यादा दवाब आने पर पीईबी ने कुछ उम्मीदवारों को दोबारा परीक्षा का अवसर भी दिया परंतु यह संख्या बहुत कम है।
उम्मीदवारों को परीक्षा व्यवस्थाओं के दौरान कई तरह की समस्याओं का सामाना करना पड़ा। बायोमेट्रिक सत्यापन प्रक्रिया काफी धीमी गति से चल रही थी। कुछ केंद्रों पर प्रवेश का समय समाप्त हो जाने पर उन उम्मीदवारों को भी भगा दिया गया जो समय से बहुत पहले आकर लाइन में लग गए थे। लापरवाही बायोमेट्रिक सत्यापन में थी, नुक्सान उम्मीदवारों को हुआ। अब वो और उनके परिवार नाराज हैं और यह नुक्सान भाजपा को विधानसभा चुनाव 2018 में उठाना पड़ सकता है।