भोपाल। राजे रजवाड़े और जागीरदारों के बीच बंटी कांग्रेस पिछले एक साल से एकजुटता का ऐलान कर रही है। मप्र के प्रभारी दीपक बावरिया लम्बे समय से मप्र में सक्रिय हैं और संगठन को काफी समय दे चुके हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ भले ही सीएम कैंडिडेट घोषित करने की मांग कर रहे हों परंतु दिग्विजय सिंह, अजय सिंह और अरुण यादव संगठन की बात करते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस के तमाम नेताओं और संगठन की सारी ताकत का अंदाजा 22 मार्च को लग जाएगा।
22 मार्च को भोपाल में कांग्रेस का विधानसभा घेराव कार्यक्रम प्रस्तावित है। कांग्रेस के तमाम विंग्स इसे लेकर तैयारियों में जुटी हुई हैं। कांग्रेस नेता अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरने में जुटे हैं और लोगों को इस घेराव में शामिल होने की अपील कर रहे हैं। विधानसभा के इस घेराव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सांसद कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया भी भाग लेंगे। दोनों दिग्गजों के अलावा कांग्रेस के वो सारे नेता भी घेराव में शामिल होंगे जिन्हे इलाकाई जमींदार माना जाता है।
पिछले 14 साल में कांग्रेस मप्र में एक भी विशाल और प्रभावी प्रदर्शन नहीं कर पाई है। ज्यादातर समय कांग्रेस, मीडिया के पीछे कवरफायर करती रही। मीडिया ने जो मुद्दे उठाए, कांग्रेस ने उन्ही पर बयान जारी किए। कभी कभी कुछ नया करने की कोशिश भी की गई परंतु अब तक कुछ भी प्रभावी नहीं था। इस बीच भाजपा ने 5 लाख की संख्या तक के कार्यक्रम कर दिए। अब 22 मार्च कांग्रेस की परीक्षा की घड़ी है। यदि इस दिन भी पूरी कांग्रेस एक साथ नजर नहीं आई तो 2018 का सपना चूर चूर हो सकता है। यहां सवाल दिग्गजों के एक मंच पर आने का नहीं है। सवाल पूरी कांग्रेस का एक मैदान में आ जाने का है।