बस यात्रियों के लिए ये कैसी हेल्पलाइन ?

भोपाल (उपदेश अवस्थी) पोस्टिंग से लेकर बहाली तक हर कदम पर भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे परिवहन विभाग को अचानक बस यात्रियों की फिक्र होने लगी है। उसने एक हेल्पलाइन शुरू की है और जनता से अपील की है कि यदि आपके बस में यात्रा के दौरान कोई परेशानी हो तो वे हेल्पलाइन पर संपर्क करें। शिकायत करने के बाद वो प्राइवेट बस आपरेटर का क्या कर लेंगे, यह उन्होंने नहीं बताया। 

जैसा कि आप जानते ही हैं अपनी दहशत जमाने के लिए पत्रकारों के माध्यम से प्रेसरिलीज छपवाने का चलन बहुत पुराना है। इसी क्रम में परिवहन विभाग ने भी एक खबर भोपाल के लीडिंग अखबार में छपने के लिए भेजी है। शीघ्र ही सभी अखबारों में भी दिखाई देगी। बड़े रोचक अंदाज में इसे बनाया गया है। ऐसा लग रहा है जैसे लावारिस बस यात्रियों की मदद के लिए कोई देवदूत आ गया हो। पहले आप पढ़िए यह खबर जो 15 नवम्बर की सुबह कुछ अखबारों में पढ़ने को मिलेगी। 

बस यात्रियों के लिए हेल्पलाइन

यदि आप बस में यात्रा कर रहे हैं और आपको कोई समस्या हो तो इस बात की शिकायत दर्ज की जा सकती है। परिवहन विभाग की इस हेल्पलाइन पर कोई भी यात्री 24 घंटे शिकायत दर्ज करवा सकता है।

परिवहन विभाग की इस हेल्पलाइन के फोन नंबरों से मिलने वाली शिकायत को सबसे पहले रजिस्टर में नोट किया जाता है। इसके बाद संबंधित आरटीओ के क्षेत्र का मामला वहीं पर भेज दिया जाता है। इस हेल्पलाइन पर प्रतिदिन करीब 100 शिकायतें इन दिनों परिवहन विभाग को मिल रही हैं।

यह हैं नंबर: परिवहन विभाग के ग्वालियर स्थित मुख्यालय पर रखे गए फोन के नंबर इस प्रकार हैं। 0751-2423105 और 0751-2423113

अब शुरू होता है अपना इकलौता सवाल: शिकायत दर्ज कराने के बाद होगा क्या ? आरटीओ कार्रवाई करेगा ? वो आरटीओ जो एक लाइसेंस बनाने के 1200 रुपए लेता है, उससे ईमानदारी की उम्मीद करें ? 
सवाल यह है कि शिकायत की पावती कैसे मिलेगी और यदि नहीं मिलेगी तो शिकायत का अर्थ ही क्या है ? 

कहीं ऐसा तो नहीं कि प्राइवेट बस संचालकों पर दबाव बनाने और अपना नजराना फिक्स कराने के लिए परिवहन विभाग ने एक नया दाव खेला है। जिस प्राइवेट बस आपरेटर की जितनी ज्यादा शिकायतें मिलेंगी, उस पर उतना ही दबाव। 

शिकायतकर्ता ने फोन पर शिकायत की है वो भी फिक्सलाइन फोन पर तो उसके पास तो पावती का एक एसएमएस भी नहीं होगा। वो बेचारा चाहे भी तो अपनी शिकायत का पीछा नहीं कर पाएगा। 

वाह क्या तरकीब खोजी है अपनी चौदराहट जमाए रखने की और उसका प्रचार प्रसार भी मुफ्त—मुफ्त—मुफ्त 
आयोजन सरकारी जो है। 

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