अब गर्वमेंट कॉलेज का भी होगा ग्रेडेशन

भोपाल। उच्च शिक्षा विभाग ने सरकारी कॉलेजों की क्वालिटी इंप्रूव करने के लिए नैक के थ्रू उनका वेल्यूएशन कराने का डिसीजन लिया है। विभाग को लगता है कि इससे सरकारी कॉलेजों की क्वालिटी इंप्रूव होगी और वे ग्रेडेशन के काम्पटीशन को जीतने के लिए ज्यादा से ज्यादा तैयारी करेंगे। यह सही है कि हर काम्पटीशन पार्ट लेने वालों की क्वालिटी इंप्रूव कर जाता है, लेकिन सरकारी गलियों में क्या होगा, यह भविष्य में ही पता चलेगा। 

राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) शिक्षण संस्थानों का मूल्यांकन करती है। मूल्यांकन के बाद नैक संस्थानों को उनकी गुणवत्ता के मुताबिक ग्रेड देती है। इस ग्रेड के आधार पर विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को यूजीसी से अनुदान मिलता है। जिन शिक्षण संस्थानों ने नैक से मूल्यांकन नहीं कराया होता है, उन्हें अनुदान में दिक्कत होती है। इसी को देखते हुए विभाग ने यह प्रकोष्ठ गठित किया है। यह प्रकोष्ठ अब उन कॉलेजों की व्यवस्थाओं को देखेगा, जिन्होंने नैक का मूल्यांकन नहीं कराया है। इसके बाद इन कॉलेजों को मूल्यांकन के अनुरूप बनाया जाएगा। नैक हर पांच साल में मूल्यांकन करती है। 

इसके लिए संबंधित कॉलेज को नैक की टीम को बुलाना होता है। टीम आकर सुविधाओं के आधार पर शिक्षण संस्थानों को ग्रेड देती है। ग्रांड के लिए जरूरी यूजीसी ने चालू पंचवर्षीय योजना से अनुदान के लिए नैक के मूल्यांकन को जरूरी कर दिया है, जिन विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों के पास नैक की पात्रता नहीं है, उन्हें अनुदान में दिक्कत आ सकती है। इसको देखते यह इस प्रकोष्ठ का गठन कॉलेजों की बेहतरी के लिए अच्छा कदम बताया जा रहा है। प्रदेश के कई कॉलेज नैक के मूल्यांकन दायरे में नहीं हं। विश्वविद्यालयों ने भी नैक का मूल्यांकन नहीं कराया है। बीयू ने भी नैक का मूल्यांकन नहीं कराया है। इससे बीयू को अनुदान में दिक्कत हो सकती है।

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