(उपदेश अवस्थी) भोपाल। कैंपियन स्कूल भौंरी के मामले में वैसे तो जांच करने के लिए कुछ भी शेष नहीं रह गया है। जगजाहिर है कि मान्यता एमपी बोर्ड की थी और फीस सीबीएससी की वसूली गई। धोखा दिया गया पेरेंट्स को, बर्बाद कर दिया गया स्टूडेंट्स का भविष्य, लेकिन प्रशासन को इससे कोई लेना देना नहीं। वो तो दबाव का खेल खेल रहा है।
जब से यह मामला खुला है तब से दबाव का खेल शुरू हो गया है। प्रशासन कार्रवाई करने के बजाए जांच के नाम पर दबाव बना रहा है और जाहिर है सेटलमेंट चाहता है। कैंपियन स्कूल प्रबंधन भी दबाव में आने को तैयार नहीं है। बावजूद इसके दबाव की प्रक्रिया जारी है। इसी के चलते डीईओ ने एक बार जांच हो जाने के बाद, इसी मामले में दूसरी जांच के आदेश दे दिए।
अब फिर जांच होगी, जांच के नाम पर कैंपियन स्कूल प्रबंधन को दबाव में लाया जाएगा और यदि सेटलमेंट हो गया तो ठीक नहीं तो दबाव का नया तरीका तलाशा जाएगा। समझ नहीं आ रहा कि जब सारा का सारा मामला आइने की तरह साफ है तो एफआईआर क्यों नहीं करवाई जा रही। स्कूल सील क्यों नहीं किया गया।
यह है मामला: कैंपियन स्कूल भौंरी के पास माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिमं) की मान्यता है तथा वह लंबे अरसे से सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) का कोर्स पढ़ाने की बात कर अभिभावकों से ज्यादा फीस वसूल रहा है। इस बात की शिकायत कुछ अभिभावकों ने जिला कलेक्टर, डीईओ सहित संबंधितों को की गई थी।
इस तरह आया सामने: यह मामला उस वक्त अचानक सामने आया था, जब फीस बढ़ाने का विरोध करते वक्त कुछ अभिभावकों ने डीईओ से स्कूल की मान्यता संबंधी दस्तावेज ले लिए थे। इनसे पता चल गया था कि स्कूल के पास सीबीएसई की मान्यता ही नहीं है। इसके बाद भी स्कूल प्रबंधन अभिभावकों से सीबीएसई के पैटर्न के अनुसार स्मार्ट क्लासेज की फीस वसूल रहा है।