मप्र का उच्च शिक्षा विभाग: नौकरशाही के ग्रहण का शिकार

भोपाल। उच्च शिक्षा विभाग ने अपने अधीनस्थ शिक्षा संस्थानों में सत्र 2012—13 के नये एडमिशन नियमों को हाईटेक करने के चक्कर में एक से बढ़कर एक नौसिखिए और शेखचिल्ली उदाहरण बनाकर हायर सेकेंडरी पास हजारों छात्रों के भविष्य को अंधकारमय बना दिया है। इसके बाद भी अपनी भूल को सुधारने के बजाय वह अपने व्यवहार को प्रायवेट युनिवर्सिटी के शेयर होल्डर जैसा प्रदर्शित करने की होड़ में जुटी हुआ है।

उल्लेखनीय है कि मप्र शासन के उच्च शिक्षा विभाग ने इस वर्ष सबसे पहले हायर सेकेंडरी परीक्षा 2012 परिणाम आने के पहले ही आन लाइन रजिस्ट्रेशन की पहली डेट घोषित कर दी। फिर
(2)उसने प्रायवेट युनिवर्सिटी के आन लाइन विभागीय प्रक्रिया से बाहर कर दिया,
(3)फिर, मप्र के अल्पसंख्य कॉलेजों को भी इस प्रक्रिया से बाहर कर दिया,
(4)फिर, न्यायालय इंदौर बेंच के निर्णय से बाहर कर दिया,
(5)हायर सेकेंडरी परीक्षा परिणाम की मार्कशीट बंटने के पहले ही अंतिम आन लाइन रजिस्ट्रेशन की डेट समाप्त कर दी,
(6)फिर, सप्लीमेंट्री और युनिवर्सिटी की फायनल परीक्षा के बाद एक मौका देने की बात कर भ्रम फैला दिया,
(7)फिर, विभाग ने इंदौर के कॉलेजों को और अल्पसंख्यक कॉलेजों को भी आन लाइन एडमिशन में ही शामिल करने का निर्णय ले लिया,
(8)फिर, जिन छात्रों के पास अंकसूची आदि नहीं आई थी, उन्हें प्रोविजनल एडमिशन लेने की बात कर दी,
(9)और, अब लेट रिजल्ट, सप्लीमेंट्री पास छात्रों और प्रोविजनल एडमिशन लेने वाले छात्रों को परीक्षा से इनकार कर दिया।
ऐसी ​​स्थिति में भोपाल के हजारों और राज्य के लाखों छात्रों के प्रोविजनल एडमिशन और माइनरिटी कॉलेजों के छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। छात्रों और कॉलेजों के समूहों ने उच्च शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा से मिलकर न्याय की गुहार लगाई है।
वहीं, निर्णय में हो रहे अनावश्यक विलंब से छात्र/अभिभावक चिंति​त और विचलित हैं, जिनमें से कुछ ज्यादा ही विचलित हो चुके हैं। हताशा में ये छात्र कहीं अनुचित मार्ग पर न चले जाएं, ऐसी भी आशंका है।

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