भोपाल। जबलपुर लोकायुक्त ने वर्ष 2012 में एक नया रिकार्ड बनाया और 26 रिश्वतखोरों को पकड़ा। इससे पहले लोकायुक्त ने इतना एक्टिव पर्फोमेंस नहीं दिया था। यहां यह बताना जरूरी नहीं कि रिश्वतखोरी के हजारों मामले तो अभी भी लोकायुक्त की जानकारी में लाए ही नहीं गए और लोकायुक्त शिकायतों का इंतजार ही करता रह गया।
जबलपुर में साल भर चलीं रिश्वतखोरी के खिलाफ लोकायुक्त कार्रवाईयों में एजेके डीएसपी आरडी उइके और आरटीओ के बाबू हरपाल सिंह बुंदेला पर दर्ज प्रकरण चर्चा का विषय बने रहे।
पिछले वर्ष कुल 22 मामले दर्ज किये गये थे, जिनमें मात्र दस मामले ही रिश्वत के पकड़े गये थे।
पिछले वर्ष आय से अधिक सम्पत्ति के 5 मामले और पद के दुरुपयोग के 7 मामले ही दर्ज हुए थे।
पिछले वर्ष सबसे अधिक सम्पत्ति से संबंधित चारसौबीसी के मामले दर्ज हुए थे। इनमें से एक समदडिय़ा मॉल का मामला भी था और यह मामला अभी भी भोपाल में ही अटका हुआ है।
वर्ष 2012 में कुल 36 मामले दर्ज किये गये हैं। इसमें रिश्वत के साथ आय से अधिक सम्पत्ति के भी 8 मामले पकड़े गये हैं।
पद के दुरुपयोग के भी दो मामलों में कार्रवाई की गई है।
हर माह तीन मामले- हर माह औसतन तीन मामलों में लोकायुक्त पुलिस द्वारा कार्रवाई की गई। इनमें सबसे ज्यादा मामले राजस्व विभाग के थे। सबसे ज्यादा पटवारी, पंचायत सचिव, नायब तहसीलदार भी इनमें शामिल थे। इनमें एक शिक्षाधिकारी भी शामिल था। तीन मामले तो अकेले कलेक्ट्रेट के थे, इनके अलावा वन विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई। नया साल समाप्त होने के तीन दिन पहले ही छिंदवाड़ा के कुठार ग्राम के एक पंचायत सचिव हेमन्त बेलवंशी को रिश्वत लेते पकड़ा गया।
लोकायुक्त पुलिस के जबलपुर कार्यालय के इतिहास में अब तक इतनी बड़ी संख्या में रिश्वतखोर नहीं पकड़े गये हैं। भ्रष्टाचारियों के खिलाफ शिकायतें मिलने पर कार्रवाई जारी रहेगी।
मनीष कपूरिया
एसपी, लोकायुक्त