भोपाल। रामानंद सागर के सुप्रसिद्ध सीरियल 'रामायण' का टाइटल गीत देने वाले संगीतकार रविन्द्र जैन ने ग्वालियर-झांसी मार्ग को भी नया नाम दिया है 'गर्भ गिरावन मार्ग'। हेमामालिनी के बाद वो दूसरे कलाकार हैं जो शिवराज सरकार की सड़कों से नाराज हो गए।
लगभग एक माह पहले दतिया महोत्सव में हिस्सा लेने आई भाजपा सांसद व फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी के बाद आज भाजपा के प्रचार के लिए गीत लिखने वाले संगीतकार रवीन्द्र जैन ने मध्यप्रदेश के सड़कों पर अपना गुस्सा सार्वजनिक किया। ग्वालियर हवाई पंट्टी से सड़क मार्ग से झाँसी पहुँचे रविन्द्र जैन ने ग्वालियर से झाँसी की सीमा तक की सड़क की दुर्दशा पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि वह पहले भी मध्यप्रदेश के मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह से सड़कों को सुधारने के लिए कह चुके हैं।
उन्होंने अपने ही अन्दाज में कहा कि अब तो लिख देना चाहिए 'मध्यप्रदेश की सीमा प्रारम्भ, सड़क समाप्त'। इतना ही नहीं उन्होंने इस रास्ते का नामाकरण 'गर्भ गिरावन मार्ग' तक कर दिया।
रविन्द्र जैन एक परिचय
बेहद अदभुत संगीत निर्देशक, गीतकार और गायक रंविन्द्र जैन की, जिन्हें फ़िल्म जगत प्यार से दादू के नाम से जानता है. स्वर्गीय के सी डे के बाद वो पहले संगीत सर्जक हैं जिन्होंने चक्षु बाधा पर विजय प्राप्त कर अपनी प्रतिभा को दक्षिण एशिया ही नही, वरन संसार भर में फैले समस्त भारतीय परिवारों तक बेहद सफलता के साथ पहुंचाया. दादू के संगीत में अलीगढ की सामासिक संस्कृति, बंगाल के माधुर्य और हिंदू जैन परम्परा का अदभुत मिश्रण है. २८ फरवरी १९४४ में जन्में रविन्द्र जैन की फिल्मी सफर शुरू हुआ १४ जनवरी १९७२ के दिन जब कोलकत्ता से मुंबई पहुंचे दादू ने फ़िल्म सेण्टर स्टूडियो में अपना पहला गाना रिकॉर्ड किया, गायक थे मोहम्मद रफी साहब. रफी साहब को जब ज्ञात हुआ की दादू अलीगढ से हैं तो उनसे ग़ज़ल सुनाने का आग्रह किया तो दादू ने पेश किया ये कलाम-
गम भी हैं न मुक्कमल, खुशियाँ भी हैं अधूरी,
आंसू भी आ रहे हैं, हंसना भी है जरूरी,
ग़ज़ल का मत्तला सुनते ही रफी साहब ने कहा की देखिये मास्टर जी, देखिये मेरे बाल खड़े हो गए...तब से दादू की हर रिकॉर्डिंग के बाद रफी साहब उसी ग़ज़ल को सुनाने की फरमाईश करते.