भोपाल। नगर निगम भोपाल की महापौर कृष्णा गौर छोटे मोटे सपने नहीं देखतीं। उनके सपने बहुत बड़े हैं। मध्यप्रदेश की राजनीति और भाजपा के लिए यह लाइन नई है और कई स्तर पर समीक्षा के योग्य भी। कृष्णा गौर ने इस लाइन के साथ ही इशारा कर दिया है कि वो शीघ्र ही प्रदेश स्तरीय राजनीति का हिस्सा बनने जा रही हैं और संभवत: अगली विधानसभा में प्रत्याशी भी।
कृष्णा गौर ने यह लाइन हिन्दी दैनिक पीपुल्स समाचार के साथ हुए एक इंटरव्यू में व्यक्त की। हालांकि इसके साथ उन्होंने नगर निगम का विकास और भोपाल को लेकर अपने सपने भी जोड़े, लेकिन राजनीति तो राजनीति है, सीधे निशाने यहां कौन मारता है।
अपनी केबीनेट का तो यही मानना है कि आगामी विधानसभा चुनाव में कृष्णा गौर अपने आदरणीय बाबूजी को रिटायरमेंट देकर उनकी सीट से चुनाव मैदान में होंगी और फिर नई शिवराज सरकार की केबीनेट में।
वैसे इस सपने में कोई आश्चर्यजनक बात भी नहीं है। बतौर महापौर उन्होंने पूरे भोपाल में अच्छा नेटवर्क तैयार कर लिया है। प्रदेश स्तरीय नेताओं से भी उनका अच्छा संपर्क हैं और फिर बाबूलाल गौर हैं हीं सरपरस्ती के लिए। टिकिट मिलना तो जैसे बाएं हाथ का खेल है, जीत भी हो ही जाएगी। सवाल केवल केबीनेट का है तो उसके लिए थोड़ा दम लगा लेंगे।
अपनेराम तो यही चाहते हैं ईश्वर सबके सपनों को साकार करे। कृष्णा भाभी के भी।
अब पढ़िए वो इंटरव्यू जे पीपुल्स समाचार में छपा
मैं छोटे सपने नहीं देखती: कृष्णा गौर
भोपाल। मेरा उद्देश्य शहर का विकास है। इसके लिए मैंने कभी निगम की कमजोर वित्तिय हालत को आड़े नहीं आने दिया। मैं एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखती हूं जो जनसेवा के लिए ही समर्पित है। लिहाजा परिस्थितयां कैसी भी हों मेरा ध्येय सिर्फ शहरवासियों की सेवा ही है। इस काम में कई मुश्किलें भी आती हैं, लेकिन हौंसले बुलंद हों तो हर मुश्किल दूर हो जाती है। यह कहना है महापौर कृष्णा गौर का। बतौर महापौर तीन साल पूरे होने के मौके पर उन्होंने पीपुल्स समाचार से अपने अनुभव साझा किए।
बाबूजी हैं प्रेरणा
उन्होंने बताया कि महापौर बनने के पहले और बाद मेरे जीवन का उद्देश सिर्फ जनसेवा है। इसकी प्रेरणा मुझे हमारे बाबूजी से मिली। शादी के बाद जब मैं भोपाल आई तो बाबूजी के प्रति लोगों का प्यार और आदर देख चकित रह जाती थी, जिस तरह बाबूजी निष्ठा से दिनरात लोगों की सेवा करते हैं, वो सबके लिए प्रेरणादायी है। इसके साथ ही मेरे पिता जो एक समाजसेवी हैं, वो भी मेरे प्रेरणास्त्रोत हैं।
टारगेट के करीब हूं
उन्होंने कहा कि मुझे छोटे सपने देखने की आदत नहीं है। इसलिए मैंने साल दर साल का टारगेट तय नहीं किया। महापौर बनने के साथ ही मैंने पांच सालों की कार्ययोजना तैयार कर ली थी। मैंने पांच साल के लिए पांच बड़े लक्ष्य तय किए थे, जिसमें नर्मदा, गरीबों के लिए आवास, अवैध कॉलोनी रोकना, सिक्स लेन सड़कों के साथ सुगम यातायात और शहर की प्राकृति सुंदरता को बरकरार रखना शामिल है। इन तीन सालों में मैं अपने लक्ष्य के करीब हूं।
महिला के लिए मॉल न बनने की टीस
महापौर कृष्णा गौर का कहना है कि जब मैं महापौर बनी तब से ही महिलाओं के लिए महिला मॉल बनाना चाहती हूं। तीन साल में इसको शुरू न कर पाने की टीस अभी भी मेरे मन में है। महिलाओं के लिए मार्केट बनाने के लिए न्यू मार्केट स्थित पलास होटल के सामने खाली जमीन को चिह्नित किया है। इसका प्रस्ताव शासन के पास लंबित है, लेकिन अब तक जमीन का आवंटन नहीं हो सका है। अभी दो साल और हैं मैं कोशिश जारी रखूंगी।
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन होगी प्राथमिकता
2013 में मेरी प्राथमिकता प्राथमिकता ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की होगी। वतर्मान में जिसकी शहर में सबसे ज्यादा जरूरत है। इस पर नगर निगम बड़े पैमाने पर काम कर रहा है। इसके साथ ही निगम की आमदनी बढ़ाने पर भी जोर होगा। इसके लिए ज्यादा से ज्यादा काम पीपीपी मोड पर किए जाएंगे। शहर के 228 नाले भी 2013 की प्राथमिक सूची में हैं।