बरघाट।
शुक्रवार की सुबह 7 बजे ग्राम जेवनारा के समीप हिर्री नदी पर बना पुल धसकने
के कारण बालाघाट सिवनी मार्ग बंद हो गया है। इस घटना के बाद तहसीलदार सहित
अन्य विभागीय कर्मचारी निरीक्षण के लिए मौके पर पहुंच गए हैं। इस मुख्य
मार्ग के अवरूद्ध हो जाने के बाद आवागमन के लिए व्यवस्था बनाए जाने का
कार्य शुरू कर दिया गया है।
ब्रिटिशकालीन है पुल
हिर्री नदी पर बना पुल ब्रिटिशकाल में बनाया गया था। इस पुल का समय समय पर जीर्णोद्धार और मरम्मत का कार्य नही होने के कारण पुल ने दम तोड़ दिया है। पत्थरों से बने इस पुल के पत्थर धीरे धीरे अपनी जगह छोड़कर गिरने लगे हैं। इस कारण पुल में गहरी दरारें आ गई हैं।
आवाज से पहुंचे ग्रामीण
शुक्रवार की सुबह 7 बजे इस पुल से जोरदार आवाज
के साथ पुल में लगे पत्थर गिरे थे। इस आवाज को सुनकर आसपास के ग्रामीण पुल
के समीप पहुंचे थे। जब ग्रामीणों ने पुल को नजदीक से देखा तो पता चला कि
पुल का कुछ हिस्सा धसक गया है. इसकी खबर थाने सहित प्रशासनिक अधिकारियों को
दी है। खबर मिलने के बाद हरकत में आये प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर
पहुंचकर पुल का मुआयना करने के बाद इस पुल से आवागमन रोक दिया है।
10 किमी का फेरा
हिर्री नदी का पुल आवागमन के लिए अवरूद्ध हो जाने के
बाद बालाघाट सिवनी मार्ग को प्रारंभ रखने के लिए काम चलाऊ बाईपास सड़क की
व्यवस्था की गई है। इस व्यवस्था के कारण इस मार्ग पर आने जाने वालों को दस
किमी की दूरी का अतिरिक्त फेरा करना पड़ेगा। केंकड़ई, कांचना से होकर इस
मार्ग में आने जाने वालों को अपनी यात्रा पूरी करनी पड़ेगी।
की थी मांग
पुल की जर्जर स्थिति को देखकर ग्राम धारना, जेवनारा और बरघाट
के नागरिकों ने अनेक बार पुल का निर्माण कराए जाने की मांग की थी। साथ ही
इस पुल की जर्जर स्थिति से भी प्रशासनिक अधिकारियों को अवगत कराया था। इसके
बावजूद ग्रामीणों की मांग को अनसुना कर दिया गया। ग्रामीणों ने बताया है
कि यदि वे सुबह पुल के धसकने की सूचना नही देते तो कुछ ही देर बार यहां
बड़ी घटना घटित हो सकती थी।
छात्र होंगे परेशान
इस पुल से आवागमन अवरूद्ध हो जाने के कारण
विद्यार्थियों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। पुल के दोनों ओर
पड़ने वाले ग्रामों के विद्यार्थी बड़ी संख्या में इस पुल से आना जाना कर
अपने विद्यालय पहुंचते हैं। पुल के एक ओर से बड़ी संख्या में
छात्र-छात्राएं बरघाट के स्कूलों में पढ़ने के लिए आते हैं। अब पुल पर
आवागमन रूक जाने के कारण गांवों के विद्यार्थी कैसे अपने विद्यालय
पहुंचेंगे, यह सोचनीय विषय बन गया है।
निर्माण में की लीपापोती
वर्ष 2004 में सिवनी से रजेगांव तक की सड़क का
निर्माण कार्य का ठेका सड़क विकास प्राधिकरण ने ठेके पर दिया था। सड़क
निर्माण के द©रान रास्ते में आने वाले पुल का पुनः निर्माण किया जाना था।
इस कार्य का ठेका लेने वाले ठेकेदार ने कार्य में लीपापोती कर एक दो पुलों
का ही निर्माण कराया और शेष वर्षों पुराने पुल की ऊपर से सड़क बना डाली।
इसकी भी शिकायत क्षेत्रीय जनों ने सड़क विकास प्राधिकरण के प्रबंधक दीपक
धडे से की थी किंतु इस संबंध में विभागीय तौर पर कोई कार्रवाई ठेकेदार पर
नही की गई।
ग्रामीणों में रोष
क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते इस
पुल का जीर्णोद्धार कार्य किया जाता तो आज यह स्थिति निर्मित नही होती।
अनेक बार मांग करने के बाद भी पुल का निर्माण तो दूर पुराने पुल का सुधार
कार्य नही किए जाने से क्षेत्रीय ग्रामीणों में खासा रोष व्याप्त है।
उन्होंने विभागीय अधिकारियों से शीघ्र ही नवीन पुल का निर्माण कार्य
प्रारंभ कराए जाने की मांग की है।