सेंधवा के बच्चों ने सीएम से मांगी रेल

भोपाल। बड़वानी जिले के सेंधवा तहसील के बच्चे रेल देखना चाहते हैं। उन्होंने सीएम को इस बहुत ही गंभीर विषय पर पोस्टकार्ड लिखे हैं। एक दो नहीं बल्कि एक हजार पोस्टकार्ड। मामला है रेललाइन के लिए मध्यप्रदेश का शेयर जारी करने का। 

यहां बता दें कि बच्चों द्वारा लिखे गए पोस्टकार्ड में उसे रेल लाइन के लिए मध्यप्रदेश का शेयर जारी करने का निवेदन किया गया है जिसके लिए महाराष्ट्र सरकार पहले से ही अपना शेयर जारी कर चुकी है। यह पोस्टकार्ड सरकारी स्कूल के बच्चों ने लिखे हैं। 

उन्होंने अपने खत में मिला है

माननीय मुख्यमंत्रीजी, 
हमारे आदिवासी बहुल क्षेत्र में रोड परिवहन की उचित सुविधा नहीं है। आसपास के जिलों के कई लोगों ने रेल नहीं देखी। जब सरकार इंदौर में मेट्रो ट्रेन के लिए 62 हजार करोड़ रुपए दे सकती है तो हमें विश्वास है कि मनमाड़-इंदौर रेललाइन के लिए 565 करोड़ रुपए जरूर देगी। जिस तरह महाराष्ट्र सरकार ने रेलमार्ग निर्माण के लिए अपने हिस्से की राशि देने की स्वीकृति दी है उसी तरह मप्र सरकार भी दें। 

मुख्यमंत्री को पोस्टकार्ड भेजकर यह मांग शासकीय उत्कृष्ट बालक हायर सेकंडरी के विद्यार्थियों ने की है। शिक्षक सुनील वाडिले के मार्गदर्शन में स्कूल के 1 हजार विद्यार्थियों ने गुरुवार को पोस्टकार्ड लिखे। स्कूल के शिक्षकों ने बताया मुख्यमंत्री भांजे-भांजियों की गुहार जरूर सुनेंगे। इस अवसर पर मनमाड़-इंदौर रेलमार्ग को लेकर जनहित याचिका लगाने वाले शिक्षक मनोज मराठे, स्कूल के वीरभान पटेल, गोस मोहम्मद खान, रमेश पंवार, झंवरलाल गुप्ता व केके राजपूत उपस्थित थे। 

सभी स्कूली विद्यार्थियों से लिखवाएंगे पोस्टकार्ड- रेल संघर्ष समिति के अधिवक्ता मोहम्मद हुसैन खान ने कहा समिति शहर के सभी स्कूली विद्यार्थियों से पोस्टकार्ड लिखवाएगी। अभियान में नीलेश जैन, रामनारायण राठौड़, हमीद मार्डन, घीसालाल दादा आदि पोस्टकार्ड उपलब्ध करा रहे हैं। समिति ने जिले के लोगों से अभियान में सहयोग करने की अपील की। 

ये है सही समय- याचिकाकर्ता मनोज मराठे ने बताया पिछले रेल बजट में देश की 85 परियोजनाओं में से निमाड़ की दो परियोजनाओं को रखा गया था लेकिन इनमें से खंडवा-दाहोद को घाटे की बताकर मंजूरी नहीं दी। वहीं 10 प्रतिशत फायदे के आधार पर इंदौर-मनमाड़ को पीपीपी के तहत मंजूरी दी लेकिन प्रदेश सरकार व रेल मंत्रालय की अनदेखी से यह मामला अटका है। उन्होंने बताया रेल बजट जनवरी से बनना तैयार होता है इसलिए उक्त रेलमार्ग की स्वीकृति की मांग करने का ये सही समय है। 

केन्द्र सरकार ने 339 किमी लंबे मनमाड़-इंदौर रेलमार्ग को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशीप के तहत रखा है। इसे योजना आयोग की सैद्धांतिक स्वीकृति भी मिल चुकी है। रेल मार्ग निर्माण में मप्र व महाराष्ट्र सरकार को उनके हिस्से से गुजरने वाले रेल मार्ग की निर्माण लागत की 50 प्रतिशत राशि व जमीन देना है। रेलमार्ग को लेकर इंदौर हाईकोर्ट में लगी जनहित याचिका पर 30 नवंबर को हुई सुनवाई में मप्र सरकार ने रेल मार्ग के लिए आर्थिक सहायता व निजी जमीन अधिग्रहण करके देने से इनकार कर दिया है। सरकार सिर्फ जमीन व मनरेगा के तहत मजदूर उपलब्ध कराने पर राजी है। इससे मामला अधर में लटका है। उधर, 14 दिसंबर को हुई याचिका की सुनवाई में हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार व रेल मंत्रालय को फटकार लगाई थी। 

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