भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद कांतिलाल भूरिया ने आज जारी बयान में कहा है कि म.प्र. में करीब पाँच दशक से स्कूली बच्चों के लिए संचालित मध्यान्ह भोजन योजना भाजपा राज्य में महिला एवं बाल विकास विभाग की अकर्मण्यता और उदासीनता के कारण पूरी तरह पटरी से उतर चुकी है। अब तो वह बच्चों के स्वास्थ्य के लिए एक बड़े खतरे का रूप ले चुकी है ।
आए दिन ऐसी घटनाएँ सामने आ रही हैं, जिनमें मध्यान्ह भोजन ग्रहण करने वाले बच्चे अचानक बीमार हो रहे हैं और कहीं-कहीं तो उनके प्राणों के भी लाले पड़ते देखे जा रहे हैं। पिछले बुधवार को सिरोंज के सोना ग्राम की माध्यमिक शाला के 45 बच्चे मध्यान्ह भोजन के बाद गंभीर रूप से बीमार हुए , जिनमें से 21 बच्चों को इलाज के लिए भोपाल के हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराकर इलाज कराना पड़ा, उससे स्पष्ट है कि मध्यान्ह भोजन योजना के संचालन में सरकार द्वारा आपराधिक किस्म की लापरवाही बरती जा रही है। इसी कारण यह योजना बच्चों की जान की दुश्मन बनती जा रही है।
उन्कहोंने कहा कि भारत सरकार के बजट से संचालित यह योजना बाल कल्याण और स्कूलों में दर्ज संस्था बढ़ाने की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण योजना है। इस अरबों के सालाना खर्च वाली योजना के प्रति राज्य सरकार द्वारा प्रदेश भर में जो लापरवाही बरती जा रही है वह माफ करने योग्य नहीं है। मासूम बच्चों की जिंदगी के साथ ऐसी खिलवाड़ राज्य सरकार की असंवेदनशीलता को जाहिर करती है।
श्री भूरिया ने कहा है कि सोना ग्राम के स्कूल में बच्चों को सांझा चूल्हा कार्यक्रम मे अंतर्गत पूड़ी और आलू की सब्जी खाने को दी गई थी। दूषित खाना खाने के बाद 21 बच्चों का मानसिक संतुलन बिगड़ गया था और वे खतरनाक असर के कारण पागलपन के दौरों की गिरफ्त में आ गए थे। सिरोंज अस्पताल में बच्चे एक जैसी हरकतें कर रहे थे। कोई नीचे लोट रहा था, तो कोई कपड़े पकड़ कर नोंच रहा था। लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि खाने में आखिर ऐसा क्या था। खाने में कोई नशीली वस्तु थी या कुछ और ? ऐसी आशंका प्रकट की जा रही है कि आलू की सब्जी में धतूरा पीस कर मिलाया गया था। इसकी पुष्टि ग्राम सोना के लक्ष्मणसिंह नामक लड़के की है, जो ग्राम सोना की माध्यमिक शाला में खाना बनाने वाली भंवरीबाई का बेटा है। आपने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच कराने और दोषियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की है।आपने कहा है कि साथ ही इस बात की जांच भी होनी चाहिए कि जिस कमरे में खाना बनाया जाता है , एक दो पहले उसका ताला किसने और क्यों तोड़ा था ?
पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने आगे कहा है कि ग्राम सोना के स्कूल की घटना के पूर्व भी कई स्कूलों में मध्यान्ह भोजन के बाद बच्चे बीमार पड़ चुके हैं। इस प्रकार की घटनाएँ थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद सामने आ रही हैं। इससे जाहिर है कि योजना के संचालन तंत्र में कुछ बुनियादी कमजोरियां घर कर गई हैं, जिनके कारण पूरी योजना दूषित हो चुकी है। मध्यान्ह भोजन के काम में आने वाली खाद्यान्न सामग्री का भण्डारण असुरक्षित और अस्वास्थ्यकर स्थानों पर किया जाता है। दूसरी तरफ मध्यान्ह भोजन के खाद्यान्न की गुणवत्ता और स्वास्थ्यकर होने की जांच की भी कोई उत्तरदायी व्यवस्था नहीं है। कहीं-कहीं तो सरपंच के मवेशी बाड़े में मध्यान्ह भोजन की सामग्री रखी जाती है। आपने कहा है कि माना कि भाजपा सरकार अपने चहेते ठेकेदारों को उपकृत करने के लिए मध्यान्ह भोजन योजना का संचालन कर रही है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि बच्चों की मूल्यवान जिंदगी को इस तरह दांव पर लगाया जाए।