जंतर मंतर बोल कलंदर

सुबोध आचार्य। मेहरबान कद्रदान साहबान, जयपुर के जंतर मंतर पर मैं अपने जमूरे के साथ हाजिर हूं। मैने आपको मेहरबान कद्रदान साहबान कहकर बुलाया, लेकिन लगता है आपको खुशी नहीं हुई। होगी भी कैसे, आप अब ना तो कद्रदान रहे ना मेहरबान, साहेबान आपको सरकार बनने नहीं दे रही है, लेकिन घबराइए नहीं, पिछले नौ साल से सरकार के नौ ग्रह ठीक नहीं बैठ पा रहे हैं, इसलिए सरकार आज जयपुर में इकट्ठा हुई है। 

कांग्रेस पार्टी को 127 साल में पहलीबार यह अहसास हो रहा है कि हम जब एक सौ पचास साल का स्थापना दिवस मनाएंगे तो कितने लोग हमारे साथ रहेंगे। 

जिसने स्वतंत्रता संग्राम में तथा स्वतंत्रता प्राप्त करने में अहम भूमिका निभाई तथा सर्वाधिक प्रधानमंत्री जिस पार्टी ने दिए आज वह छोटे छोटे दलों की बैसाखियों पर कैसे आ गई। आज देश में कोई भी पार्टी स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने में सक्षम दिखाई नहीं देती, बजाओ ताली...। 

क्षेत्रवाद, जातिवाद, साम्प्रदायिकतावाद पनपाने के लिए कौन जिम्मेदार है ? किसी ने रामरोटी, किसी ने पिछड़ों का दामन थामा, किसी ने गरीबी हटाने का वादा करके तो किसी ने धर्म का दामन थामा और अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकी, लेकिन साहबान आम जनता इतने वर्षों में वहीं के वही है। 

अब एक नया नारा चलने वाला है 'युवा पीढ़ी' यह भी केवल एक नारा ही रहेगा, क्योंकि 20वीं शताब्दी में उन्नीसवीं शताब्दी के कितने लोग बच पाएंगे। जो युवा हो रहे हैं या हैं उनकी दशा और दिशा में कितना परिवर्तन आया, यह हम सभी महसूस कर रहे हैं। 

आज के दिन केवल चिंता के चिंतन में ही डूब गया कि आगे क्या होगा, लगातार हर मोर्चे पर असफलता के कारण चिंता बढ़ती जा रही है। जयपुर में ऐसा कोई मंतर चलाने के चक्कर में है कि आम आदमी जो दूर हो रहा है, उसे कैसे लुभाया जाए। 

राजीवजी के समय में ऐसा करिश्मा हुआ था, लेकिन उनके बाद फिर से एक ऐसा शून्य तैयार हो गया जो किसी भी संख्या में जोड़ने से पूर्ण संख्या नहीं बना पा रहा है। 

आप भी सोचिए कि कब तक तालियां बजाते रहोगे, कल भी नया खेल लेकर आउंगा। 

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!