भोपाल। विदिशा महाम्मेलन में अव्वल तो महज 25000 ही कांग्रेसी आए और जो आए भी तो बजाए सम्मेलन और संगठन पर ध्यान केन्द्रित करने के, अपने अपने नेताओं को जिंदाबाद करने में जुटे रहे।
मंच से तमाम नेता लगातार अपील करते रहे कि वो सम्मेलन में आवश्यक पड़ने पर केवल सोनिया गांधी जिंदाबाद, राहुल गांधी जिंदाबाद एवं कांग्रेस जिंदाबाद के नारे लगाएं, लेकिन मंचासीन पदाधिकारियों की सुनने वाला कौन था।
सम्मेलन की शुरूआत ही स्थानीय नेताओं के जिंदाबाद के नारों से हुई। जिस नेता के समर्थक आए वो अपने नेता को जिंदाबाद करते चले आए। सम्मेलन के दौरान मंच पर आसीन पदाधिकारियों को सुनने के बजाए केम्पस में मौजूद कांग्रेसियों के बीच एक अजीब सी प्रतियोगिता शुरू हुई कि कौन अपने नेता को कितनी बुलंद आवाज में जिंदाबाद करवा पाता है।
इस जिंदाबाद की प्रतियोगिता में आरिफ अकील एवं पीसी शर्मा के समर्थक भी पूरे जोरशोर से शामिल रहे। अब जब भोपाल के नेता ही अपने समर्थकों को नहीं रोक पाए तो बाकी जिलों को कौन रोके।
कुल मिलाकर समाचार लिखे जाने तक मेरा नेता जिंदाबाद के अलावा परिसर में कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था।