भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केन्द्र सरकार से गेहूँ में नमी से भार बढ़ने की कट आफ तारीख को तत्काल प्रभाव से 30 जून की बजाए 31 जुलाई करने का अनुरोध किया है। उन्होंने इसे चरणबद्ध तरीके से अगस्त और दिसम्बर के बीच 0.5 प्रतिशत और बाद में 1 प्रतिशत नमी तय करने का भी आग्रह किया है।
केन्द्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली मामलों के राज्य मंत्री प्रोफेसर के.वी. थॉमस को लिखे अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने बताया कि भारत सरकार ने राज्य की भंडारण एजेंसियों और भारतीय खाद्य निगम के लिये भंडारण के दौरान गेहूँ में नमी के कारण भार बढ़ने के संबंध में अलग-अलग मापदण्ड अपनाये हैं।
राज्य में भंडारण एजेंसियों के लिये 30 जून के बाद उपार्जित गेहूँ के भंडारण में वास्तविक भार वृद्धि को अनदेखा कर 1 प्रतिशत भार वृद्धि का अनिवार्य प्रावधान किया गया है, जबकि फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया को वास्तविक भार वृद्धि के आधार पर नमी में प्रत्येक 1 प्रतिशत वृद्धि के लिये 0.7 प्रतिशत भार पर उपार्जित करने की अनुमति है। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री से कहा कि अलग-अलग मापदण्ड की व्यवस्था अवैज्ञानिक, अतार्किक और भेदभाव पूर्ण है। दो प्रकार की भिन्न-भिन्न नीतियां नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि इस विसंगति को समाप्त करने के लिये राज्य की ओर से बारम्बार अनुरोध करने के बावजूद बिना किसी कारण के राज्य के अनुरोध को अनदेखा कर दिया गया।
श्री चौहान ने अपने पत्र में राज्य के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार नहीं करने का आग्रह करते हुये कट ऑफ दिनांक 31 जुलाई करने के लिये जरूरी निर्देश देने को कहा। उन्होंने कहा कि इससे न केवल राज्य के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार होगा, बल्कि यह वैज्ञानिक रूप से भी उचित होगा।
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में स्पष्ट किया कि प्रदेश में जून में ही मानसून पूर्व बौछार आ गयी थी। पिछले तीन सालों के मौसम विभाग के आँकड़े बताते हैं कि मानसून जुलाई से शुरू होता है। इसके अलावा प्रदेश भौगोलिक रूप में विशाल राज्य है और इसके भीतर भी क्षेत्रीय भिन्नताएं हैं। इसलिये राज्य में अनाज भंडारण की एक समान नीति नहीं अपनाई जा सकती। उन्होंने लिखा कि समर्थन मूल्य पर खाद्यान्न उपार्जन और भंडारण के लिये मध्यप्रदेश वेयर हाऊसिंग और लॉजिस्टिक निगम, राज्य की नोडल एजेंसी है।