भोपाल। शिवपुरी के सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों ने नाबालिग बालिका के गर्भ में पल रहे भ्रूण की हत्या कर दी और इसकी सूचना किसी को भी नहीं दी गई। आरोप है कि डॉक्टरों ने 5 लाख रुपए लेकर मामले को रफादफा कर दिया। सनद रहे कि इस मामले में पुलिस को इन्फार्म करना डॉक्टरों की पदीय जिम्मेदारी बनती थी।
मामला शिवपुरी के जिला चिकित्सालय का है। यहां खनियाधाना की एक नाबालिग बालिका को पेटदर्द की शिकायत के नाम पर भर्ती किया गया और आनन फानन में उसके गर्भ में पल रहे भ्रूण को आपरेशन के माध्यम से रिमूव कर दिया गया। बाद में जब मीडिया को इसका पता चला और लोकल मीडिया ने सवाल उठाए तो डॉक्टरों ने जबाव दिया कि माता की जीवन रक्षा के लिए गर्भपात जरूरी था।
सवाल यह नहीं है कि गर्भपात जरूरी था या नहीं, सवाल यह है कि यदि गर्भपात किया जाना था जो कागजों में पेटदर्द के मरीज को भर्ती क्यों किया गया एवं कहीं भी इस बात का उल्लेख क्यों नहीं किया गया।
दूसरी बात नाबालिग बालिका का गर्भवती होना स्पष्ट रूप से बलात्कार का प्रकरण होता है। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 376 के अनुसार यदि नाबालिग बालिका के साथ सहमति से भी संभोग किया जाए तब भी वह बलात्कार की श्रेणी में आता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टरों का प्राथमिक दायित्व यह बनता था कि वो इसकी सूचना पुलिस को भी दें, परंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया और मामले को रफादफा करने का प्रयास किया।
इस मामले में चर्चा है कि शिवपुरी जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन से लेकर आपरेट करने वालीं तमाम डॉक्टरों एवं स्टाफ के साथ कुल 5 लाख रुपए में डील फाइनल हुई और डॉक्टरों ने इस हत्याकांड को अंजाम दे डाला।
समाचार लिखे जाने तक मामला आरोप प्रत्यारोप एवं सवाल जबावों में ही उलझा हुआ है। पुलिस या प्रशासन की ओर से इस मामले में किसी भी प्रकार की पहल नहीं की गई है।