भोपाल। धार भोजशाला में हुए लाठीचार्ज के बाद कैलाश विजयर्गीय सहित भाजपा के कई नेताओं के निशाने पर आईं आईजी इन्दौर अनुराधा शंकर के लिए अच्छी खबर है। राजधानी में सीएम, सीएस सहित डीजीपी उनकी लीडरशिप से खुश हैं एवं मान रहे हैं कि उन्होंने 2006 की तुलना में बेहतर प्रबंधन किए।
सनद रहे कि भोजशाला मामले में बिना पूर्व सूचना के अचानक पूजा रोक देने से हिन्दू नाराज हो गए थे और इसी दौरान उन पर लाठीचार्ज किया गया। लाठीचार्ज में कई भाजपाई घायल भी हुए थे। अपनी ही सरकार के चलते मिलीं पुलिस की लाठियां भाजपाईयों को कतई सहन नहीं हो पा रहीं हैं। इसी के चलते केबीनेट मंत्री कैलाश विजयर्गीय सहित भाजपा एवं संघ के कई नेताओं ने पुलिस कार्रवाई का खुला विरोध किया।
मुख्यमंत्री ने प्रभारी मंत्री महेन्द्र हार्डिया को ग्राउण्ड लेवल की रिपोर्ट जानने के लिए भेजा तो गुस्साए भोजशाला भक्तों ने उन्हें हरा गमझा पहना दिया और जमकर खरी खोटी सुनाई गई। धार में शिवराज को मौलाना कहकर भी विरोध जताया गया।
इसी तमाम विरोधों के चलते माना जा रहा था कि भोजशाला मामले को लीड कर रहीं आईजी अनुराधा शंकर के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। कम से कम उन्हें इन्दौर से हटाया तो जा ही सकता है, परंतु प्रभारी मंत्री महेन्द्र हार्डिया द्वारा सीए को मौखिक रिपोर्ट दिए जाने के बाद सीन बदल गया।
आज कलेक्टर धार सीबी सिंह ने सीएम से आकर मुलाकात की। इससे पहले भोजशाला मामले में सीएम ने गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता, मुख्य सचिव आर परशुराम एवं डीजीपी नंदन दुबे से भी अलग अलग बातचीत की और अंतत: निष्कर्ष यह निकाला गया कि भोजशाला में प्रशासन द्वारा पूर्व की तुलना में बहुत बेहतर प्रबंधन किए गए थे।
कम से कम 2006 की तुलना में भोजशाला के प्रबंध बहुत अच्छे थे। 2006 में फायरिंग हुई थी, कर्फ्यू लगाया गया था परंतु इस बार सबकुछ शांति से निपट गया। सीएम ने प्रभारी मंत्री की रिपोर्ट पर भी कोई ध्यान नहीं दिया, क्योंकि उन्होंने धार जाकर न तो कलेक्टर का पक्ष जानने की कोशिश की और न ही एसपी को मिलने के लिए बुलाया।
कुल मिलाकर आरएसएस या कट्टरहिन्दूवादी नेता कुछ भी कहें, भोजशाला मामले में सीएम ने प्रशासन की पीठ थपथपा दी है। अब देखना यह है कि इस मामले में कांग्रेस एवं लाठीचार्ज का विरोध करने वाला गुट क्या स्टेंड लेता है।