भोपाल। जबलपुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शिशु रोग विभाग में चिकित्सकों की कमी पीड़ित बच्चों के लिये मुसीबत बनती जा रही है। यहां संसाधन तो हैं लेकिन न तो स्पेशलिस्ट हैं और न ही कंसल्टेंट।
हाल ही में विभाग प्रमुख के सेवानिवृ त्त होने के बाद एक और कंसल्टेंट ने यहां आना बंद कर दिया है। इससे पहले एक एसोसिएट प्रोफेसर पिछले चार साल से बिना बताए गायब हैं। इस तरह तीन प्रमुख पदों पर कमी बनी है, साथ ही नियोनेट क्रिटिकल यूनिट भी नई बनी है, जिसमें चिकित्सकों की उपस्थिति बेहद जरूरी है। इस तरह हर तरफ शिशु रोग विशेषज्ञ की दरकार है और कमी लगातार होती जा रही है।
मेडिकल प्रबंधन ने इस समस्या को समझा और कार्यकारिणी समिति की बैठक में निर्णय लेकर नये चिकित्सकों के पदों के लिए डिमाण्ड तैयार कर भोपाल भेजी पर इस प्रस्ताव की सहज स्वीकृति संभव नहीं है।
अभी विभाग में यह हालात हैं कि चिकित्सकों की कमी की वजह से यहां नई पोस्ट-ग्रेजुएट डिग्री केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वीकृत नहीं की। साथ ही, बच्चों के इलाज में भी जो मौजूदा स्टाफ है, उसे परेशनियों का सामना करना पड़ रहा है। किसी भी चिकित्सक के न आने की स्थिति में इलाज को लेकर परेशानी और बढ़ जाती है।