गरीबों के सपनों का घर छीन रहा है भोपाल प्रशासन: दीपानी

shailendra gupta
भोपाल। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता त्रिलोक दीपानी ने जिला मूल्यांकन समिति द्वारा भोपाल में जमीनों के मनमाने मूल्य तय करने की कार्रवाई को अव्यावहारिक बताते हुए कहा है कि जमीनों के मूल्य में दो-तीन गुना बढ़ोतरी करने की कार्रवाई समाज के गरीब लोगों के घर के सपने पर पानी फेरने वाली सिद्ध होगी।

अगर मूल्यों में इसी तरह वृद्धि की जाती रही तो भोपाल निवासी आम लोग तो जिंदगी भर भोपाल में अपना घर नहीं बना सकेंगे। दीपानी ने कहा है कि भोपाल में जमीनों की वास्तविक स्थिति और सरकार की विभिन्न एजेंसियों द्वारा जो दिक्कतें खड़ी की जा रही हैं, उनको ध्यान में रखे बिना जमीनों के मूल्य वर्ष-दर-वर्ष बढ़ाते जाना बेघर लोगों के साथ बड़ा अन्याय है। ऐसी कार्यवाही की जिला प्रशासन का नैतिक कदम भी नहीं माना जा सकता।

श्री दीपानी ने कहा है कि वर्तमान में भोपाल में कलेक्टर गाइड लाइन के हिसाब से बाजार मूल्य सर्वाधिक है, फिर भी राजस्व अधिकारियों द्वारा मनमानी करके बाजार मूल्य 100 प्रतिशत से 200 प्रतिशत तक बढ़ाना औचित्यहीन है। भोपाल का मास्टर प्लान नहीं आने से भूमि उपयोग को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कोई भी व्यक्ति टीएंडसीपी में भूमि उपयोग बदलने का आवेदन करता है तो वहां पर भूमि उपयोग बदला नहीं जाता।

पुराने मास्टर प्लान में प्लानिंग एरिया में ऐसी कई जमीनें आती हैं जो आवासीय हो सकती हैं। लेकिन कलेक्टर की मौखिक रोक के कारण भूमि का डायवर्सन नहीं हो रहा है। आपने कहा है कि कई जगह केचमेंट के नाम पर वह भूमि, जो कि तालाब के फुल टेक लेवल से एक कि.मी. से दो कि.मी. दूर है, कोई भी निर्माण की अनुमति नहीं मिल रही है। वहां पर जमीनों का मूल्य अन्य जगह के मुकाबले आधा है फिर भी रजिस्ट्री पूरे मूल्य की हो रही है।

ग्रीन बेल्ट, आमोद-प्रमोद, वनस्पति उद्यान की भूमि का मूल्य आधा होना चाहिए, लेकिन उनका भी पास की जमीन के बराबर मूल्य रखा जा रहा है। मर्जर की आड़ में नजूल, नगर निगम, टीएंडसीपी द्वारा निर्माण की अनुमति नहीं दी जाती है।

आपने कहा है कि जिस क्षेत्र में वर्तमान में निर्माण की अनुमति नहीं मिल रही है वहां के बाजार मूल्य कम करना चाहिए। बाजार मूल्य तय करने के लिये अधिकारियों की समिति न बनाकर जन प्रतिनिधियों की समिति बनाई जाना चाहिए ताकि न्याय संगत बाजार मूल्य निर्धारित हो सके। भूमि स्वामियों पर पंजीयन शुल्क का कम भार पड़ना चाहिये। वर्तमान में एक वर्ष से प्रापर्टी के बाजार भाव स्थिर है।एक ही ग्राम की कृषि भूमि में बहुत ही अंतर है।

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