मध्यप्रदेश की जीवनदायनी नर्मदा जी पर गुजरात और मध्यप्रदेश के बीच यदि खुलकर संवाद नदी महोत्सव के दौरान हो जाता है, और इस बात का कोई रास्ता निकल जाता है की शिवराज सिंह और नरेंद्र मोदी बिना किसी बहस मुबाहसे अपने राज्यों के सूखे जिलों में नर्मदा जल कैसे पहुंचाएं ? तो इस समारोह के साथ-साथ दोनों प्रदेश के लोग “नदी के घर” में रहने वाले को याद करेंगे |
वरन हमारे दिल में मलाल रह जायेगा की हमारी एक पार्टी थी उसकी दो सरकारें थीं और हमारे नदी प्रेमी सांसद भी थे,और हम कुछ भी न कर सके| हमारी अगली पीढ़ी कर्नाटक और तमिलनाडू की तरह कभी इस ट्रिब्यूनल कभी किसी कोर्ट तो कभी सडक पर हमे कोसती रहे|
नर्मदा जी के इतिहास पर कई पुराण लेख और अध्ययन मौजूद है,नये - नये खोजी उनमे से ही कुछ करकराकर विशेषग्य बन जाते हैं| वर्तमान स्थिति से अवगत नहीं रहना चाहते हैं | या हकीकत से इसलिए आँख मूंदे रहना चाहते है |किसी अज्ञात भय से | स्मृति ताजा करने के उद्देश्य से गुजरात और मध्यप्रदेश के मुख्य मंत्रियों दो वाक्य प्रस्तुत हैं | शेष संदर्भ आप खोज ही लेंगे | अपने शपथ ग्रहण समारोह में मोदी जी बोले “मैं सौराष्ट्र की धरती को नर्मदा के पानी से लबालब कर दूंगा”| वहां शिवराज जी सौजन्यतावश चुप रहे , लेकिन भोपाल आते ही कहा “निमाड़ और मालवा के कोने में नर्मदा का पानी पहुंचा दूंगा” इनका और उनका दोनों का कहने का आधार वहाँ से मिले या वहाँ से पिछले चुनाव में न मिले वोट हैं |
नदी महोत्सव के आयोजक और उसमे भाग लेने वालों की यह जवाबदारी भी है कि पर्यावरण के साथ राजनीतिक पर्यावरण को दोनों प्रदेशों के हित में ठीक करेंगे ,तो निश्चित ही उन्हें नर्मदा जी का आशीर्वाद मिलेगा और नागरिकों की दुआएं बोनस में | ध्यान रहे राम जी थोडा देर से न्याय करते हैं और नर्मदा जी फौरन |