अध्यापक मोर्चा: शिक्षामंत्री ने कहा हम वेतन बढ़ा रहे हैं, आप आंदोलन मत करो

shailendra gupta
भोपाल। मध्यप्रदेश में दो लाख से ज्यादा अध्यापकों द्वारा स्कूलों में की गई तालाबंद हड़ताल और उसके बाद सरकार की ओर से किसी प्रतिक्रिया के न आने पर की गई अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा के बाद अंतत: सरकार सामने आ ही गई। स्कूल शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनीस ने बयान जारी किया है।

अर्चना चिटनीस के बयान का लव्ववोलुआव केवल इतना है कि सीएम ने 12 जनवरी को जो भी वचन दिए थे, शासन उस दिशा में कार्रवाई कर रहा है। वेतनवृद्धि की प्रक्रिया जारी है, आप हड़ताल न करें। मंत्री महोदया ने शिवराज सरकार द्वारा पूर्व में लिए गए शिक्षाकर्मी हितैषी निर्णयों का भी जिक्र करते हुए बताया है कि हमने आपको अपमानजनक कर्मी कल्चर से बाहर निकाला, परंतु संविलियन एवं समान वेतन के मामले पर उन्होंने कुछ नहीं कहा।


अब पढ़िए स्कूल शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनीस द्वारा जारी किया गया पूरा बयान:—


अध्यापकों की सेवा शर्तों की बेहतरी के लिए कार्रवाई जारी


मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा अध्यापक और संविदा शिक्षक संवर्ग की माँगों के निराकरण के लिए दिए गए निर्देशों के अनुरूप शिक्षा विभाग द्वारा त्वरित कार्रवाई की जा रही है। स्कूल शिक्षा मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस ने इस संबंध में शिक्षा विभाग द्वारा की जा रही कार्रवाई के बारे में बताया है।

स्कूल शिक्षा मंत्री ने बताया कि 12 जनवरी को मुख्यमंत्री और संविदा शाला शिक्षक तथा अध्यापक संवर्ग के पदाधिकारियों के साथ हुए विचार-विमर्श और माँगों पर सहमति के बाद सहर्ष आंदोलन वापस लिया गया था। उन्होंने बताया कि सहायक अध्यापकों, अध्यापकों एवं वरिष्ठ अध्यापकों को दिए जाने वाले वेतन में सहमति अनुसार वृद्धि किए जाने के मामले में कार्रवाई जारी है।

उल्लेखनीय है कि नवम्बर 2012 से वरिष्ठ अध्यापकों को 17 हजार 119 अध्यापक के लिए 13 हजार 406 और सहायक अध्यापक के लिए 10 हजार 450 रुपये मासिक परिलब्धियाँ प्राप्त हो रही हैं। इसी तरह संविदा शाला शिक्षकों के मासिक पारिश्रमिक में शत-प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई है। अब वर्ग-1 को 4,500 रुपये के स्थान पर 9000, वर्ग-2 के लिए 3500 रुपये के स्थान पर 7000 रुपये और वर्ग-3 के लिए 2500 रुपये के स्थान पर 5000 रुपये पारिश्रमिक दिया जा रहा है।

श्रीमती चिटनीस ने बताया कि अध्यापक संवर्ग के लिए 12 एवं 24 वर्ष की सेवा के बाद क्रमोन्नति का लाभ देने का निर्णय लिया गया है। उन्हें अंशदायी पेंशन योजना में सम्मिलित किया जा रहा है। योजना में अध्यापक के मूल वेतन और महँगाई भत्ते पर 10 प्रतिशत के बराबर की राशि राज्य सरकार द्वारा वहन की जाती है। इससे सरकार पर 150 करोड़ रुपये का प्रतिवर्ष व्यय भार आ रहा है।

उन्होंने बताया कि संविदा की 3 वर्ष की अवधि पूर्ण करने एवं अध्यापक संवर्ग में आने पर वरिष्ठता का निर्धारण नियुक्ति दिनांक से करने की कार्रवाई की जा रही है और जल्द ही आदेश प्रसारित किए जायेंगे। उन्होंने बताया कि एक ही स्थान पर 5 वर्ष की सेवा करने वाले अध्यापक को पूरे सेवाकाल में एक बार संविलियन का लाभ दिए जाने की स्वीकृति की कार्रवाई की जा रही है।

उन्होंने बताया कि अध्यापकों के लिए समूह बीमा योजना तैयार है और इसे जल्द ही लागू किया जायेगा। अन्य शासकीय सेवाओं की तरह नौकरियों के लिए दी जाने वाली आयु-सीमा में छूट की माँग पर भी सकारात्मक कार्यवाही की जा रही है।

स्कूल शिक्षा मंत्री ने बताया कि पूर्व में भी अध्यापकों की सेवा शर्तों को बेहतर बनाने के निर्णय लिए गए हैं। उन्होंने बताया कि अध्यापक संवर्ग के किसी अध्यापक की आकस्मिक मृत्यु होने पर अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान किया गया है। वैद्य आश्रित के शैक्षणिक योग्यता नहीं रखने पर एकमुश्त एक लाख रुपये का अनुदान दिए जाने का निर्णय लिया गया है।

उन्होंने बताया कि शिक्षाकर्मी वर्ग-3 (प्रयोगशाला) और संविदा शाला शिक्षक वर्ग-3 (प्रयोगशाला) को अध्यापक के लिए शिक्षण-प्रशिक्षण योग्यता से मुक्त रखा गया है। शासकीय शिक्षकों के सामान नि:शक्त अध्यापकों को 250 रुपये प्रतिमाह, विकलांग वाहन भत्ता भी प्रदान किया गया है। यही नहीं संविदा शाला शिक्षकों को अध्यापक संवर्ग के समान अनुग्रह राशि दिए जाने का निर्णय भी लिया है।

श्रीमती चिटनीस ने बताया कि उनकी सरकार ने कर्मी कल्चर को समाप्त कर शिक्षाकर्मी को संविदा शाला शिक्षक और अध्यापक संवर्ग में सम्मिलित कर सम्मानजनक स्थान दिलाया है। ग्रीन कार्डधारी शिक्षाकर्मियों को दो अग्रिम वेतनवृद्धियाँ का लाभ दिया गया है। उन्होंने बताया कि अध्यापक संवर्ग को राज्य शासन के कर्मचारियों के समान महँगाई भत्ता दिए जाने का निर्णय पहले ही लिया गया है। वर्ष 2005 से शिक्षाकर्मी अंतर्गत महिला, नि:शक्त एवं परस्पर आधार पर एक निकाय से दूसरे निकाय में संविलियन यानी स्थानांतरण की नीति लागू की गई है। वर्ष 2008 से यह नीति अध्यापक संवर्ग के लिए भी लागू की गई है।

श्रीमती चिटनीस ने अध्यापकों से कहा है कि परीक्षा के समय शैक्षणिक गतिविधियों का सुचारू रूप से संचालन होते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के साथ 12 जनवरी को अध्यापकों के साथ बनी सहमति के बाद विभाग द्वारा प्रत्येक बिंदु पर गंभीरता से कार्यवाही की जा रही है।

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