सरकारी खर्चे पर ट्रेनिंग लेकर प्राइवेट जॉब नहीं कर पाएंगे डॉक्टर

shailendra gupta
भोपाल। अब सरकारी डॉक्टर प्राइवेट सोनोग्राफी सेंटर्स नहीं खोल पाएंगे। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग नए नियम लागू करने जा रहा है। इसके तहत अब डॉक्टरों को सोनोग्राफी की जांच की ट्रैनिंग लेने के बाद बॉन्ड भरना होगा। बॉन्ड के अनुसार अब ट्रेनिंग लेने वाले डॉक्टरों को कम से कम 5 साल तक सरकारी अस्पताल में बतौर सोनोलॉजिस्ट काम करना होगा। 

साथ ही उन्हें उस जगह भी काम करना होगा, जहां उसकी जरूरत है। गौरतलब है कि अभी तक सरकारी डॉक्टर विभाग के अफसरों से सांठ-गांठ कर सरकारी खर्च पर सोनोग्राफी करने की ट्रेनिंग लेते थे। इसके बाद अस्पताल में काम न करके खुद का सोनोग्राफी सेंटर खोल लेते थे या फिर निजी अस्पतालों में मोटे कमीशन पर अपनी सेवाएं देते थे। 

इससे एक तरफ जहां शासन का पैसा और समय बेकार होता था, वहीं सरकारी अस्पतालों में सोनोलॉजिस्ट की कमी बनी रहती थी। सोनोग्राफी की ट्रेनिंग में प्रति डॉक्टर शासन को एक लाख रुपए का खर्च आता है।

सालों से चली आ रही इस धांधली को रोकने के लिए विभाग ने ट्रैनिंग के लिए नए नियम तैयार किए हैं। इसके तहत अब जो डॉक्टर सोनोग्राफी की ट्रेनिंग लेने का इच्छुक होगा, उसे लिखित में देना होगा कि वह कम से कम पांच साल तक सरकारी अस्पताल में सोनोग्राफी करेगा। साथ ही यह डॉक्टर शासन द्वारा बताए सरकारी अस्पताल में भी अपनी सेवाएं देने के लिए तैयार रहेंगे। इन शर्तों को मानने वाले डॉक्टर को ही शासन के खर्च पर ट्रेनिंग दिलवाई जाएगी।

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