लावारिस शहर/ उपदेश अवस्थी। धार भोजशाला मामले में इन दिनों राजनीति के लिए प्रशासनिक शहादत की तैयारी चल रही है। यह शहादत किसी और को नहीं बल्कि इन्दौर की आईजी अनुराधा शंकर को देनी होगी। तैयारियां लगभग पूरी हो चुकीं हैं और शायद अनुराधा शंकर ने भी पैकिंग शुरू कर ली होगी।
राजनीति कब क्या कर जाए, कहा नहीं जा सकता। अपने फेलियर्स को यूटर्न देकर कैसे दूसरे के सर पर ठीकरा फोड़ना है यदि यह देखना हो तो धार का भोजशाला मामला देखिए। आगे बात करने से पहले चलिए देखते हैं भोजशाला मामले का एक रिपीट स्क्रीन शॉट:-
शुक्रवार को बसंत पंचमी होने के कारण हिन्दू जागरण मंच ने दिसम्बर से ही भोजशाला मामले में हिन्दुओं के पक्ष में माहौल बनाना शुरू किया। इसी साल में विधानसभा चुनाव होने के कारण शिवराज सरकार पर प्रेशर बनाकर भोजशाला विवाद से जुड़े तमाम पेंच भी सुलझाने के लिए दबाव बनाया गया।
गोविंदाचार्य ने धार जाकर इस आग में घी डाला और धार व आसपास के भोजशाला प्रेमी एकजुट हो गए। इधर शंकराचार्य नरेन्द्र ने भी भोजशाला के पक्ष में बयान दे डाला एवं आमंत्रण स्वीकार कर लिया।
अब सरकार को संकट आता दिखाई दिया। भाजपा की सरकार और हिन्दुओं की नाराजगी, ये कैसे संभव हो सकता था परंतु मुसलमानों को नाराज करके शिवराज सिंह की ब्रांड इमेज भी तो खराब नहीं करनी थी। एक तरफ संघीय पृष्ठभूमि के भाजपा नेता विचार कर रहे थे तो दूसरी ओर शिवराज एंण्ड कंपनी।
अंतत: टीम शिवराज सबपर हावी रही और विचारधारा से जुड़े लोगों को इस मामले पर विचार न करने की हिदायत दे दी गई। अब टीम शिवराज ने आरएसएस के नेताओं से संपर्क किया और नमाज के लिए नरम होने को कहा, परंतु आरएसएस कहां मानने वाली।
टीम शिवराज ने फार्मूला नंबर 2 यूज करने का मन बनाया। मुम्बई में अपनी पत्नि का इजाल करा रहे केबीनेट मंत्री कैलाश विजयर्गीय को बुलाया गया और भोजशाला मामले का प्रभारी बनाने की कोशिश की गई, परंतु कैलाश ने इस मामले में फ्रीहेंड मांग लिया।
कैलाश का कान्फीडेंस देखकर टीम शिवराज घबरा गई। सोचा तो यह था कि यदि सक्सेस मिली तो शिवराज की, फेल हुए तो कैलाश, लेकिन यदि फ्री हेंड दे दिया तो सक्सेस भी कैलाश की हो सकती थी। अत: टीम शिवराज ने हाथ पीछे खींच लिए।
गृहमंत्री और दूसरे ऐसे नेताओं से बातचीत की गई जो टीम शिवराज के पार्टटाइम मेंबर्स हैं, लेकिन सबने हाथ खींच लिए। यहां तक कि धार के प्रभारीमंत्री महेन्द्र हार्डिया ने भी अपने प्रभार वाले जिले में कानून व्यवस्था की कमान संभालने से इंकार कर दिया। धार से मंत्रीमंडल में शामिल हुईं रंजन बघेल तो महिला ठहरीं। तत्काल पल्ला झाड़ लिया। आज तक झाड़ ही रहीं हैं।
अब बनाई गई नई रणनीति, फार्मूला नंबर 3: हाईकोर्ट, केन्द्र और तमाम निर्देशों का पालन करने की जिम्मेदारी आईजी अनुराधा शंकर को सौंप दी गई। यहां टीम शिवराज खुश थी। सक्सेस मिली तो अपनी रणनीति, फेल हुई तो आईजी। सक्सेस को थोड़ा बहुत क्रेडिट आईजी को मिल भी जाए तो क्या फर्क पड़ता है, वो कौन सी वोट बटोरने निकलने वालीं हैं। कुल मिलाकर ब्रांड शिवराज जिंदाबाद, और सौंप दी गई अनुराधा शंकर को कमान।
धार में जो कुछ हुआ वो आप सबको मालूम है। लोगों में गुस्सा लाठीचार्ज का नहीं है, लोगों में गुस्सा शिवराज का है। वो चाहते थे, सरकार हमारी है, हमें मनमानी की छूट मिलनी चाहिए। आईजी अनुराधा दबाव में नहीं आईं, उल्टा दबाव बना डाला। पूजा भी कराई और नमाज भी करा दी। राजनीति की ताकत दिखाकर मनमानी की कोशिश करने वालों की ठुकाई भी कर डाली।
आईजी ने वही किया जो एक पुलिस अधिकारी को करना चाहिए था, परंतु भक्तों को यह पसंद नहीं आया। भक्त तो भक्त मध्यप्रदेश के तमाम भाजपाईयों को भी यह पसंद नहीं आया। वो धार पर दिनभर भगवा लहराते हुए देखना चाहते थे। प्रतिक्रियाएं आना शुरू हुईं और शिवराज फिर से घिरने लगे। इस बार कांग्रेस ने भी अच्छी बल्लेबाजी की और शिवराज को घेर डाला।
बस फिर क्या था, फेलियर का ठीकरा फोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो गई। एसपी रायसेन, एसपी होशंगाबाद, डीआईजी भोपाल जैसे महत्वपूर्ण पदों पर सफलतम पारी खेलने वाली अनुराधा शंकर को भाजपा ने ही टारगेट बना डाला। पूरे 21 साल मध्यप्रदेश की सेवा का प्रतिफल मिलना शुरू हो गया। समीक्षाएं हो रहीं हैं, अनुराधा शंकर ने जो कुछ किया वो ठीक नहीं था। धीरे धीरे दबाव बढ़ता जाएगा, भूमिका तैयार हो गई है। टीम शिवराज, अनुरोधा की बली ले लेगी और मामले में एक बार फिर 'शिवराज हीरो'।
यह पूरा का पूरा मामला एक बार फिर आईएएस, आईपीएस लॉबी में एक सबक बन जाएगा। एक ऐसा सबक जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता, परंतु जिसे याद रखने का भी कोई फायदा नहीं होगा। मुई राजनीति होती ही ऐसी है। इसमें इतने यूटर्न लिए जाते हैं कि पता ही नहीं चलता, कौन कहां से शुरू हुआ था और कहां पहुंचने वाला है।
एक बार फिर टीम शिवराज की रणनीति सफल होती दिख रही है। गैस, पेट्रोल और डीजल जैसी आम जरूरत की चीजों पर भरपूर टैक्स वसूलने वाली शिवराज सरकार एक आईजी की बली लेकर पूरा बजट सत्र बिता देगी। मूल मुद्दों पर चर्चा भी नहीं होगी। बस होगा तो हंगामा, जिसका कोई प्रतिफल नहीं मिलने वाला।