भारत सरकार ने सी बी आई के और रक्षा मंत्रालय के एक -एक अधिकारी को इटली भेजने का निर्णय लिया है | वे अधिकारी रवाना भी हो गये है, पर वे वहां करेंगे क्या ? वहां की अदालत पहले ही किसी भी जानकारी को साझा करने के लिए लेटर ऑफ़ रोजेत्री मांगती है| सरकार के पास अखबारी कतरनों के सिवाय कुछ भी नहीं है | इनके आधार पर इटली तो क्या भारत का भी कोई न्यायालय लेटर ऑफ़ रोजेत्री जारी नहीं कर सकता |
मामला बोफोर्स जैसा टेड़ा हो गया तब भी अखबारों की खबर के आधार सीबीआई के अधिकारी की बार विदेश यात्रा का सुख उठा चुके थे | तब जो सरकार थी वह भी ऐसे ही बहाने करती थी और आज तक सिवाय अनुमान के बोफोर्स में कुछ नहीं निकला | सी बी आई के दफ्तर को रक्षा मंत्रालय का रिकार्ड रूम कहना भी गलत नही होगा | रक्षा मंत्रालय से जुड़े खरीदी में घपलों के दर्जन भर से अधिक मामले वहां लम्बित है| किसी को उन पर से धूल साफ तक करने की फुर्सत नहीं है |
विदेश में रहने वाले एक लखु भाई पाठक थे | जिन्होंने एक भारतीय बड़े नेता की नाक में दम कर दिया था और सूटकेस का साइज़ तक नपवा दिया था | भारत के इस मामले में दो बाते हो सकती है | एक - हमारे देश के वे वकील जो बड़े राजनीतिक दलों के प्रवक्ता बनकर टी वि पर छाए रहते हैं कानून के मामले में शून्य है | दो- नूराकुश्ती |
इस सरे मामले को देख कर वो कहानी याद आती है कि एक राजकुमारी ने अपने पति से पूछा की मुझमे ढेरों गुण है आप क्या है ? उसने कहा दो गुण है -१. हम कुछ जानते नहीं २. कोई कहे तो मानते नहीं | अफ़सोस सरकार के पास भी यही दो गुण है |