भोपाल। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया ने आज जारी एक बयान में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को पाखंडी बताया। उन्होंने अपने बयान में कहा कि किसान महापंचायत के नाम पर उन्होंने एक बड़ा पाखंड किया है।
सनद रहे कि इससे पहले कांग्रेस नेता अरुण यादव ने भी शिवराज सिंह की किसान महापंचायत को राजनाथ की तीमारदारी में आयोजित कार्यक्रम बताया था। इसके बाद भूरिया ने जारी अपने बयान में कहा कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह इन दिनों बुरी तरह हड़बड़ाये हुए हैं और प्रदेश भर में सरकारी कामकाज को पूरी तरह ठप्प करके पंचायतों के नाम से नाटक-नौटंकियों में उलझ गये हैं। उन्होंने अपने सात साल के कार्यकाल में किसी भी वर्ग की भलाई के लिए कोई खास काम नहीं किया, इस कारण वे ऐन चुनावी वर्ष में आसमानी सुल्तानी घोषणाओं के नाम पर विभिन्न वर्गों के साथ बारी-बारी से छलावा कर रहे हैं।
श्री भूरिया ने आगे कहा कि कल भोपाल के जम्बूरी मैदान पर करोड़ों के सरकारी खर्च से किसान महापंचायत हुई, उसमें मुख्यमंत्री ने ऐसी एक भी घोषणा नहीं की जिसका किसानों को वास्तविक लाभ मिलने के हालत बनते। किसानों के नाम पर इतना बड़ा पाखंड करने वाले शिवराजसिंह ने गेहूं के समर्थन मूल्य के मामले में भी किसानों के साथ बड़ा धोखा किया है। राज्य सरकार की तरफ से समर्थन मूल्य में बोनस के नाम पर इस साल मात्र 50 रूपये की बढ़ोतरी कथित किसान हितैषी मुख्यमंत्री ने की है, जो कि नगण्य है।
श्री भूरिया ने कहा कि भरोसा था कि शिवराजसिंह कम से कम प्रदेश के अन्नदाता किसानों के साथ तो ऐसा मजाक नहीं करेंगे। किसानों को 3 फरवरी को यह झांसा देकर भोपाल बुलवाया गया था कि महा पंचायत में 50 हजार रूपये के कर्ज माफी की घोषणा की जाएगी, किंतु मुख्यमंत्री ने उस दिन अपनी पार्टी के इस वादे की तरफ से अपनी आंखें बंद कर लीं।
श्री भूरिया ने कहा कि जहां तक गेहूं के समर्थन मूल्य में राज्य स्तर पर की गई नाम मात्र की वृद्धि का सवाल है, केंद्र सरकार ने इस वर्ष के गेहूं के सीजन के लिए 1350 रूपये समर्थन मूल्य घोषित किया है। राज्य सरकार ने पिछले वर्ष बोनस के बतौर 100 रूपये प्रति क्विंटल दिया था। इस बार उसने केवल 50 रूपये का बोनस बढ़ाया है। इस नगण्य राशि को इस तरह प्रचारित किया जा रहा है जैसे समर्थन मूल्य की 1500 रूपये की पूरी राशि राज्य सरकार किसानों को दे रही है। भोले-भाले किसानों के साथ ऐसा छलावा शिवराजसिंह के अलावा दूसरा कोई नहीं कर सकता!
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि जब भारत सरकार समर्थन मूल्य के बतौर प्रति क्विंटल 1350 रूपये दे रही है तो राज्य सरकार को बोनस के रूप में कम से कम 300 रूपये तो देना ही चाहिए था। ऐसा न करके उन्होंने किसानों के असंतोष को केंद्र की तरफ मोड़ने के लिए गेहूं का समर्थन मूल्य 1600 रूपये प्रति क्विंटल करने की भारत सरकार से मांग करते हुए महा पंचायत में होहल्ले के बीच एक प्रस्ताव पारित करा लिया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि किसान महा पंचायत में की गई थोथी घोषणाओं की आड़ में शिवराजसिंह ने झूठी वाहवाही बटोरने का असफल प्रयास किया है। लेकिन उन्हें अब समझ लेना चाहिए कि प्रदेश के किसान विश्वास करके अधिकतम दो बार ही धोखा खा सकते हैं। वे भाजपा के झूठे वादों में फंसकर वर्ष 2003 और 2008 के विधान सभा चुनाव में दो बार धोखा खा चुके हैं। पिछले नौ वर्षों में किसानों के सामने भाजपा और उसकी सरकार का किसान विरोधी स्याह चेहरा सामने आ चुका है, इसलिए मुख्य मंत्री कितनी ही ऐसी महा पंचायतें क्यों न कर लें, प्रदेश के भुगतभोगी किसान भाजपा को किसी हालत में तीसरा मौका नहीं देंगे। आपने कहा है कि 3 फरवरी की महा पंचायत में मुख्य मंत्री ने किसानों के स्वाभिमान के साथ जो खिलवाड़ की, उसको भी वे भूलेंगे नहीं।
उस दिन किसान तो सुबह 7 बजे जम्बूरी मैदान पहुंच गये थे, किंतु मुख्य मंत्री भूखे-प्यासे किसानों से 6 घंटे इंतजार कराने के बाद अपरान्ह एक बजे वहां पहुंचे थे। किसानों को कार्यक्रम के दौरान भारी गंदगी के बीच बासी खाना दिया गया, जिसमें बालूसाई पर फफूंद चढ़ गई थी।
श्री भूरिया ने कहा है कि मुफ्त ब्याज योजना का प्रचार तो खूब हो रहा है, किंतु महा पंचायत में आये किसान बता रहे थे कि बैंक अधिकारी किसानों को ऋण देने के लिए बैंक में घुसने ही नहीं देते। 24 घंटे बिजली का झूठा सपना दिखाने वाली सरकार किसानों को तीन घंटे भी बिजली नहीं दे रही है। नहरों का पानी भी दबंग किसानों को ही मिल रहा है। नहरों के लिंकेज न होने के कारण छोटे किसान नहरों के पानी से वंचित हैं।कार्यक्रम के समय किसानों का कहना था कि पूर्व पंचायत की घोषणाओं पर अमल हो जाता तो 3 फरवरी की महा पंचायत की जरूरत ही नहीं पड़ती।