भोपाल। कांग्रेस के मध्यप्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर आरोप लगाया है कि वो चुनावों को ध्यान में रखते हुए भोजशाला की आड़ में 'बड़ा खेल' खेलना चाहते थे, परंतु धार की जनता की समझदारी के चलते उनके मंसूबे पूरे नहीं हो पाए।
यहां जारी एक बयान में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ने कहा है कि जब भी शिवराजसिंह चौहान के सामने मुख्यमंत्री के रूप में नेतृत्व क्षमता दिखाने का निर्णायक अवसर उपस्थित होता है, तब वे असफल सिद्ध होते हैं। पिछले सात साल में कई बार यह प्रमाणित हो चुका है कि वे अग्नि परीक्षा में सफल होने की क्षमता नहीं रखते। दरअसल उनकी सारी सामर्थ्य दोनों हाथ लहरा-लहराकर लच्छेदार भाषण तक सीमित होकर रह गई है।
किसी भी पक्ष को संतुष्ट नहीं कर पाए
भूरिया ने कहा कि कल बसंत पंचमी पर धार की भोजशाला में पूजा और नमाज संपन्न कराने की जो चुनौती उनके सामने आई थी, उसमें वे पूरी तरह अक्षम साबित हुए हैं। न तो वे वहां हिन्दुओं की संतुष्टि के अनुसार पूजा करा सके और न ही मुस्लिमों को उनकी अपेक्षानुसार नमाज पढ़ने का मौका दिला सके। खेद की बात तो यह है कि एएसआई और न्यायालय के आदेशों का भी राज्य सरकार पालन नहीं करा सकी।
शिवराज सिंह में लीडरशिप का अभाव
कांतिलाल ने कहा कि धार में कल शुक्रवार को शिवराजसिंह की नेतृत्व क्षमता और प्रशासनिक सूझबूझ, दोनों की कंगाली खुलकर सामने आ गई। नतीजन दोनों समुदाय सरकार से नाराज हैं। आज धार में इनकी यह नाराजी धार बंद के रूप में सामने आई। इस बंद में दोनों समुदायों ने एकजुट होकर भाग लिया है।
चुनाव को ध्यान में रख 'बड़ा खेल' की तैयारी
श्री भूरिया ने कहा है कि धार में पिछले कुछ दिनों के और कल के घटनाक्रम से यह बात साफ तौर पर उभरकर शिवराजसिंह आगामी विधान सभा चुनावों को ध्यान में रखकर कोई ‘‘बड़ा खेल’’ भोजशाला की आड़ में खेलने वाले थे, किंतु दोनों समुदायों की समझदारी और शांतिप्रियता के कारण इसमें उनको सफलता नहीं मिली। यदि स्थिति को संजीदगी और सूझबूझ के साथ सम्हाला गया होता तो कल निर्दोष लोगों पर पुलिस द्वारा बर्बर लाठीचार्ज की नौबत नहीं आती।
साम्प्रदायिक मामले लीड करना नहीं सीख पाए शिवराज
आस्था का ऐसा मामला जिसके साथ दो समुदायों की भावनाएं जुड़ी हुई हों, किस तरह सम्हाला जाता है, यह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह अब तक नहीं सीख सके हैं। वे भोजशाला का मामला पिछली बार अपने सिपहसालार कैलाश विजयवर्गीय को सौंपकर बिगाड़ चुके थे और इस बार वे इस अतिसंवेदनशील मामले को गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता और आईजी अनुराधा शंकर के भरोसे छोड़ बैठे थे। जो गृहमंत्री प्रदेश की कानून-व्यवस्था को ठीक से न सम्हाल पा रहे हों, वे भोजशाला के अति संवेदनशील मामले को क्या सम्हाल पाते। नतीजा सबके सामने हैं। दोनों समुदाय एक साथ सरकार को कोस रहे हैं।
200 पुलिसवाले तिलक लगाकर भीड़ में शामिल थे
पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने कहा है कि जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने भोजशाला में पूजा और नमाज के मुद्दे का नाटकीयकरण कर डाला था। सादे कपड़ों में करीब 200 पुलिस वालों को तिलक लगाकर और केशरिया दुपट्टे पहनाकर श्रद्धालुओं के बीच में बिखेर दिया था। इन्हीं लोगों ने पुलिस पर प्रायोजित पत्थरबाजी की थी। ये ही भोजशाला में भी अनावश्यक रूप से दखलंदाजी कर श्रद्धालुओं में अफरा तफरी पैदा कर रहे थे।
नमाज का दावा झूठा, पुलिसकर्मियों ने पढ़ी नमाज
श्री भूरिया ने आरोप लगाया है कि सरकार नमाज पढ़ी जाने का जो दावा कर रही है, वह फर्जी है, धार के शहरकाजी और आम मुस्लिमों का यही कहना है कि परंपरागत स्थान पर विधि विधान से नमाज पढ़ने का मौका उन्हें नहीं मिला। जिन 16 नमाजियों द्वारा नमाज पढ़ने का दावा आईजी द्वारा किया गया है, वे बाहरी लोग थे। आरोप तो यह भी है कि नमाजियों के वेश में वे पुलिस के आदमी थे। ऐसी भी सूचनाएं हैं कि सोची समझी रणनीति के तहत बड़ी संख्या में इंदौर से भी सिखाये-पढ़ाये लोगों को कल धार लाया गया था। इस कारण पूजा और नमाज का कार्यक्रम रस्म अदायगी मात्र बनकर रह गया।
भोजशाला मामले में चुप क्यों हैं शिवराज
श्री भूरिया ने मुख्य मंत्री से सवाल किया है कि भोजशाला मामले में वे अब भी मौन धारण किये क्यों बैठे हैं ? अब तक उन्होंने राज्य के मुखिया के नाते इस बारे में अपना बयान क्यों नहीं दिया ? मुख्य मंत्री को प्रदेश की जनता को बताना चाहिए कि अति संवेदनशील स्थल पर मौजूद रहकर स्थिति को सम्हालने में प्रशासन के मार्गदर्शन के लिए सरकारी अधिकारियों के अलावा सरकार का कोई प्रतिनिधि कल धार में मौजूद क्यों नहीं था ? धार जिले के प्रभारी मंत्री महेन्द्र हार्डिया का, जो कि धार के पड़ोसी इंदौर शहर के निवासी हैं, उनको मामले से दूर क्यों रखा गया और आई.जी. को ही पूरी कमान क्यों सौंपी गई ?