भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ने भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रारंभ किये गए महाजनसंपर्क अभियान को भाजपा और उसकी सरकार द्वारा प्रदेश की जनता को भ्रमित करने का एक और असफल प्रयास बताते हुए कहा है कि कहने के लिए यह कार्यक्रम जनसंपर्क अभियान है,
लेकिन दरअसल भाजपा और उसकी सरकार इस अभियान के लिए आगामी विधानसभा चुनाव में वोट हांसिल करने के लिए प्रदेशवासियों को यह बताना चाहती है कि उसने प्रदेश के विकास और विभिन्न वर्गों की बेहतरी के लिए क्या-क्या काम किये हैं। आपने कहा है कि अब तो भाजपा सरकार की नौ साल की विज्ञापनी उपलब्धियों पर से पर्दा उठ चुका है और यह सच जनता के सामने आ गया है कि भाजपा सरकार ने नाटक-नौटंकी, कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार, अवार्ड मोह तथा अपने लोगों को दोनों हाथों से जन-धन को बटोरने के अवसर मुहैया करने में ही अपने दोनों कार्यकाल बिताये हैं। उपलब्धियों का उसका खाता तो एकदम खाली है।
श्री भूरिया ने कहा है कि भाजपा को अपनी सरकार की सपनों की सौदागरी को अगले आठ महीनों में भी यूं ही चलने देना चाहिए था, लेकिन आत्ममुग्धता के फेर में पड़कर उसने महा जनसंपर्क अभियान के रूप में बैठे ठाले मुसीबत मोल ले ली।
प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष ने कहा है कि अभियान के दौरान भाजपा के नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ता जहां भी चुनाव पूर्व ‘‘मुंह दिखाई’’ के लिए पहुंच रहे हैं, लोग उनसे नौ साल के कामकाज, चुनावी वादों की पूर्ति और प्रदेश के आज के दयनीय हालातों के बारे में कैफियत मांग रहे हैं। महा जनसंपर्क अभियान को अपने कंधों पर उठाकर अति उत्साह में भाजपा जो कार्यकर्ता अपने घरों से निकले थे-वे अब बड़े धर्म संकट में फंस गये हैं। सरकार की ऐसी कोई उपलब्धियां तो उनकी झोली में हैं नहीं, जिनको वे लोगों को आत्म विश्वास के साथ सुना-बता सकें। बेचारों की सांप-छछूंदर जैसी हालत हो गई है। उन्हें इस बात की सपने में भी कल्पना नहीं रही होगी कि यह अभियान ‘‘महा क्षमा याचना अभियान’’ में तब्दील हो जाएगी।
आपने कहा है कि भाजपा की नौ साल पुरानी सरकार ने किसी भी वर्ग के लिए तो ऐसा काम किया नहीं है, जिसका प्रभाव जमीन पर और आम जिंदगी में दिखाई दे सके। कार्यकर्ता सरकार को मिले अवार्ड्स की सूची और उपलब्धियों के भरकम आंकड़े पढ़कर सुनाते हैं, तो लोग भड़क जाते हैं और अंततः भाजपा के जनसंपर्कियों के लिए वहां से आगे बढ़ जाने के अलावा कोई चारा नहीं रहता। शिवराजसिंह और नरेन्द्रसिंह तोमर ने अपनी पार्टी के नेताओं, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को जनता के सामने लज्जित और अपमानित होने की बुरी स्थिति में झोंक दिया है।