किसान महापंचायत: शिवराज को दुलार, मनमोहन को धिक्कार

shailendra gupta
भोपाल। मध्यप्रदेश में आज हुई किसान महापंचायत में यह समझना मुश्किल हो गया कि यह मध्यप्रदेश के पक्ष में आयोजित कार्यक्रम है या केन्द्र के खिलाफ आमसभा। पूरी सभा में केवल दो ही काम हुए। शिवराज को दुलार और मनमोहन को धिक्कार। 

इस पूरी महापंचायत में किसानों के हित में ऐसी कोई घोषणा नहीं हुई जो अंतिम पंक्ती के किसान को लाभ पहुंचाने वाली हो। राजनाथ सिंह ने केवल अतिथि धर्म निभाया। यजमान शिवराज सिंह को खूब दुलारा तो केन्द्र की कांग्रेस नीत सरकार को धिक्कारने का धर्म निभाना भी नहीं भूले। मध्यप्रदेश सरकार की ओर से किसानों को उन्होंने किसी भी प्रकार का कोई उपहार नहीं दिया। 

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी कोई आशाअनुरूप लाभ की घोषणा नहीं की। उनके पूरे भाषण में यही समझ नहीं आया कि शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं या लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष। वो बारी बारी से रूप बदलते रहे। कभी मुख्यमंत्री बने तो कभी नेता प्रतिपक्ष बन गए। 

उन्होंने किसानों को उद्योगपति बनाने के लिए आमंत्रित किया और लोन दिलाने के लिए ठीक वही घोषणा की जो युवा पंचायत में की गई थी। अब कितने प्रतिशत किसान अपनी जमीनें बेचकर उद्योग लगाएंगे आप खुद ही समझ सकते हैं। इस घोषणा से उस किसान को कुछ नहीं मिला जो 5 बीघा बिना पानी की जमीन पर भगवान भरोसे खेती करता है और सबसे ज्यादा परेशान है। 

नेताप्रतिपक्ष बने शिवराज सिंह ने केन्द्र सरकार से गेंहू का समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग की। इसके इतर उन्होंने खेती के लागत मूल्य को घटाने के लिए अपनी सरकार के किसी भी प्रयास का जिक्र नहीं किया। यहां त​क कि किसानों के लिए कष्ट बन गई डीजल की कीमतें घटाने के लिए वेट हटाने का जिक्र ही नहीं किया। अलबत्ता राजनाथ सिंह ने जरूर डीजल के दामों को लेकर केन्द्र को निशाना बनाने की परंपरा निभाई और बस। 

महापंचायत में यह भी घोषणा की गई कि किसानों को विदेश यात्रा कराई जाएगी, लेकिन सवाल यह उठता है कि कितने किसानों को और किस तरह के किसानों को। 5 बीघा बिना पानी की जमीन वाले किसान के पास राशनकार्ड तो होता नहीं, पासपोर्ट कहां से आएगा। 

कुल मिलाकर शिवराज सरकार ने चिकनी चुपड़ी बातें की और किसान महापंचायत का फर्ज निभा डाला।मध्यप्रदेश सरकार पूरे आयोजमेंन में कहीं दिखाई नहीं दी। सरकार ये यहां मेरा तात्पर्य उस सत्ता से है जो क्या होना चाहिए, यह बात नहीं करती बल्कि क्या कर दिया और क्या करने जा रहे हैं इसकी बात करती है। आज हुई किसान महापंचायत में सरकार की ओर से किसान हित में कोई ऐसा निर्णय सुनाई नहीं दिया जो मध्यप्रदेश के प्रत्येक किसान को लाभ पहुंचाता हो। 

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