भोपाल। लोकायुक्त पीपी नावलेकर ने आज सहारा समय से बातचीत में फिर कहा कि सरकार को मध्यप्रदेश के प्रभावशालियों के खिलाफ लंबित मामलों में निर्णय लेना चाहिए। या तो स्वीकृति दें या फिर खारिज करें। सनद रहे कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट भी आदेशित कर चुका है परंतु अभी तक सरकार ने डिसीजन नहीं लिया है।
मध्यप्रदेश में लोकायुक्त द्वारा सरकार की ओर स्वीकृति के लिए भेजे गए प्रभावशालियों के खिलाफ अभियान का मामला एक बार फिर गर्मा गया है। सरकार इस मामले को टालने का प्रयास कर रही है, जबकि लोकायुक्त ने मांग की है कि सरकार को इस विषय पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।
लोकायुक्त पीपी नावलेकर ने कहा कि हम अपनी हदों में काम कर रहे हैं, परंतु अब लोकायुक्त एक्ट में संशोधन की जरूरत है। उन्होंने बताया कि हमने सरकार को सुझाव भेजा है कि वो मध्यप्रदेश के विधायकों, सभी यूनिवर्सिटीज एवं एनजीओ को भी लोकायुक्त के दायरे में लेकर आएं। इसके लिए विधेयक में संशोधन करना आवश्यक हो गया है।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में लोकायुक्त को 100 में से 75 नंबर दिए जा सकते हैं परंतु 25 अभी भी कम हैं। यदि हमें शक्तियां मिलें तो हम 100 में से 100 लाकर दिखा सकते हैं। जिक्र—ए—खास है कि पीपी नावलेकर पर कांग्रेस की ओर से आरोप लगाया जाता रहा है कि वो भाजपा के ऐजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं। कांग्रेस विधायक कल्पना परुलेकर ने तो विधानसभा में एक फोटो भी लहराया था जिसमें पीपी नावलेकर को आरएसएस की यूनिफार्म में दिखाया गया था। बाद में पता चला कि वो फोटो फर्जी था एवं कूटरचित तरीके से बनाया गया था।