भोपाल। शहडोल सांद राजेश नंदिनी सिंह के सुरक्षागार्ड पर हमले के मामले प्रकरण दर्ज हो गया, आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया परंतु हमला क्यों किया गया और गार्डपर ही क्यों किया गया इसका जवाब किसी के पास नही है, जबकि आरोपियों का कहना है कि हमने सांसद की गाड़ी को साइड नहीं दी, इसलिए उन्हें अरेस्ट करवा दिया गया है।
अनूपपुर में शनिवार की शाम शहडोल संसदीय क्षेत्र की सांसद राजेश नंदिनी सिंह के सुरक्षा गार्ड लालबहादुर सिंह पर हुए हमले के मामले में सांसद के दवाब के चलते पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया परंतु इसके बाद शुरू हुआ चर्चाओं का दौर।
सबसे बड़ा सवाल यह था कि जब गाड़ी में सांसद मौजूद थे तो हमलावरों ने केवल गार्ड को ही क्यों मारा। सांसद को कुछ भी क्यों नहीं कहा। उस सवाल का जवाब अभी तक नहीं मिल पाया है कि हमले का उद्श्य क्या था।
- क्या आरोपियों की गार्ड से कोई पुरानी रंजिश थी, नहीं।
- क्या आरोपी सुपारी किलर्स थे और सांसद को मारना चाहते थे, नहीं।
- क्या आरोपियों ने सांसद पर या गाड़ी पर हमला किया, नहीं।
फिर सवाल उठता है कि गाड़ी को रोककर गार्ड को बाहर निकलने पर ही क्यों मारा गया। टारगेट क्या था।
- सांसद का कहना है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं कि उक्त तीनों युवकों नें क्यों उन पर हमला करने का प्रयास किया तथा गार्ड से मारपीट की, इसकी जांच के बाद ही यह खुलासा हो पायेगा कि उक्त युवकों नें यह किसी के कहने पर किया है या फिर राजनैतिक कारणों से यह हुआ।
- सांसद समर्थकों का कहना है कि कुछ दिनों पूर्व क्षेत्र में सामुदायिक भवन का निर्माण पूर्व मंत्री स्वर्गीय दलवीर सिंह के नाम पर किया गया है तथा इसके बाद स्थानीय भाजपा के व्यक्तियों में इस बात से रोष था और हमले की एक वजह यह भी हो सकता है।
- घटना के तीनों आरोपियों का कहना है कि सांसद के सुरक्षा गार्ड हमें मारा और धमकाया हमारी गलती सिर्फ इतनी है कि हमने समय से गाड़ी का साईड नहीं दिया था। आगे जाकर जब हमने अपनी गाड़ी रोकी और लघुशंका करने लगे तो सांसद का सुरक्षाकर्मी आकर हमें मारने लगा और इसी बीच हाथापाई होने लगी तब उसने बंदूक निकाल कर हमारी ओर निशाना साधते हुये कहा कि मार दूंगा। तब हम भागने लगे और गिर पड़े। इसी बीच वह सुरक्षाकर्मी हमें पकड़ कर हमसे मार पीट की और उल्टे आरोप लगाकर हमें यहां पहुंचा दिया।
अब सवाल यह है कि मामला सांसद से जुड़ा होने के कारण क्या कोई आरोपियों की बात सुन पाएगा, और यदि सुनेगा भी तो क्या पुलिस जांच के बाद इस मामले में खात्मा लगा पाएगी।
आरोपियों की मानें तो प्रकरण गार्ड के खिलाफ दर्ज होना चाहिए। उनकी बात में दम भी नजर आ रही है। कम से कम क्रास प्रकरण तो दर्ज होना ही चाहिए, परंतु आरोपियों में कोई हाईप्रोफाइल नहीं है, इसलिए शायद उनकी आवाज शायद सलाखों के पीछे सिमटकर रह जाएगी, लेकिन सांसद को याद रखना चाहिए कि यह आवाज चुनावों में वापस भी उठ सकती है।