भोपाल। फेडरेशन ऑफ मध्यप्रदेश चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की मांग है कि नए बजट में मध्यप्रदेश सरकार टैक्स का कुछ इस तरह से निर्धारण करे कि मध्यप्रदेश के व्यापारी पड़ौसी राज्यों से कॉम्पटीशन कर सकें।
फेडरेशन ऑफ मध्यप्रदेश चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (एफएमपीसीसीआई) ने प्रदेश सरकार से आलू और सोयाबीन पर लगने वाला दो फीसदी मंडी टैक्स घटाकर एक फीसदी करने की मांग की है।
साथ ही आईटी उत्पादों को दी जा रही छूट का दायरे में नए उत्पादों को शामिल करने, सभी तरह के रसायनों पर एक समान छूट, सस्ती चप्पलों को रियायत देने और 25 लाख रुपए तक का निवेश करने वाली दाल मिलों को रियायत की श्रेणी में रखने की भी मांग राज्य सरकार से की है।
एफएमपीसीसीआई के उपाध्यक्ष गोविंद गोयल ने फेडरेशन भवन में आयोजित एक प्रेसवार्ता में बताया कि फेडरेशन सिर्फ टैक्स में रियायत देने भर की मांग नहीं कर रहा, उसने राज्य सरकार को रियायत दिए जाने की स्थिति में होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई के भी उपाय बताए हैं।
प्रदेश के सभी व्यापारी और उद्यमियों की यह अग्रणी संस्था सिर्फ इतना चाहती है कि राज्य का कर ढांचा इस तरह का हो कि यहां के उद्यमी और व्यापारी पड़ोसी राज्यों से प्रतिस्पर्धा कर सकें। यहां पर जमीन को मॉरगेज करने के लिए अधिकतम 5 लाख रुपए तक की स्टेंप ड्यूटी देनी पड़ती है।
पड़ोसी राज्यों में यह शुल्क कहीं कम है। सरकार को इन सब बातों का ध्यान रखना चाहिए। साथ ही सरकार स्टील रॉड और गेहूं पर इंट्री टैक्स लगाकर राजस्व भी बढ़ा सकती है।