भोपाल। इन्दौर के लाइफलाइन अस्पताल प्रबंधन द्वारा आपरेशन के नाम पर 6 लाख रुपए लूटने के की कोशिश का मामला प्रकाश में आया है। डॉक्टरों ने एक महिला के आपरेशन का खर्चा पहले 28 हजार बताया। आपरेशन के लिए पेट चीर दिया, फिर अचानक कहा कि 6 लाख रुपए लगेंगे। परिजनों ने असमर्थता जताई तो बिना आपरेशन पेट सिल दिया और मरीज को वापस वार्ड में भेज दिया। इसके बाद कोई इलाज नहीं किया।
इन्दौर के एमआईजी थाने में फरियादी राजू द्वारा की गई एक लिखित शिकायत में उसने बताया है कि परदेशीपुरा में रहने वाली 32 वर्षीय अर्चना पिता ओमप्रकाश बियाणे की बच्चादानी में छह साल से गठान है। अर्चना ने बताया- पांच दिन पहले मैं डॉ. सुष्मिता मुखर्जी के एलआईजी तिराहा स्थित क्लीनिक पहुंची। उन्होंने मेरी सोनोग्राफी कराई। रिपोर्ट देखकर कहा कि ऑपरेशन करना पड़ेगा।
कुछ दिन पहले ही हम ऐसा ऑपरेशन कर चुके हैं। इसका खर्च 28 हजार रु. आएगा। खून चढ़ाना पड़ा तो प्रति बॉटल दो हजार रुपए अलग लगेंगे। उनके कहने पर सोमवार सुबह मैं लाइफ लाइन हॉस्पिटल में भर्ती हो गई। अर्चना की बहन ममता ने बताया कि डॉ. सुष्मिता ने कहा था कि मेरे साथ एक स्पेशलिस्ट डॉ. नरेंद्र पाटीदार भी ऑपरेशन करेंगे। उनकी फीस 12 हजार रु. अलग से लगेगी। हम इस पर भी राजी हो गए।
अर्चना को ऑपरेशन थिएटर में ले जाने के थोड़ी देर बाद ओटी से एक नर्स आई और कहा डॉक्टर बुला रहे हैं। हम अंदर पहुंचे। उस समय तक डॉक्टर अर्चना का पेट चीर चुके थे। वे गठान दिखाकर कहने लगे कि इसका ऑपरेशन नहीं हो सकेगा। ऑपरेशन हुआ तो छह लाख का खर्च आएगा। हमने इतने रुपए खर्च करने में असमर्थता जताई तो उन्होंने पेट सिलकर वापस वॉर्ड में भेज दिया। अर्चना के भाई राजू ने बताया कि बाद में डॉक्टर अर्चना को देखने तक नहीं आए। हमनें एमआईजी थाने में शिकायत की है। इधर, अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि छह लाख मांगे नहीं, परिजन को केवल खर्च बताया था।
इस मामले में पुलिस क्या करेगी क्या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा परंतु प्रथमदृष्टया यह मामला ठीक वैसा ही है जैसे अपहरण के बाद फिरौती का होता है। एक व्यक्ति की जान को खतरे में डाला गया और फिर जान की सलामती के लिए एक मोटी रकम की मांग की गई।
अपने प्रियजन की जान का खतरा अपहरणकर्ताओं को फिरौती और डॉक्टरों को मोटी फीस हमेशा दिलाता रहा है और यही कारण है कि इनके हौंसले लगातार बढ़ते रहे हैं। अपहरण के मामले में तो पुलिस फिर भी गंभीरता से काम करती है परंतु डॉक्टरों द्वारा की जाने वाली इस तरह की वारदातों को कतई गंभीरता से नहीं लिया जाता एवं जांच के दौरान भी मामले की लीपापोती ही की जाती है। यही कारण है कि डॉक्टरों के हौंसले लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
इन्दौर इन मामले में पिछले कुछ सालों से बदनाम हो गया है। यहां अवैध ड्रग ट्रायल के कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं एवं मरीजों की जान से खिलवाड़ करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ अभी तक कोई ऐसी कार्रवाई नहीं हुई है जो आमजन को राहत और इस तरह के पेशेवर डॉक्टरों को सबक साबित हो सके।