इंदौर। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी(आईआईटी) इंदौर में एक असिस्टेंट प्रोफेसर हैं मोबिन शेख। 12वीं में 56 प्रतिशत और एमसीसी में 55 प्रतिशत फिर भी बन गए असिस्टेंट प्रोफेसर। कैसे बने, जानने के लिए आपको आईआईटी इन्दौर के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर प्रो. एएस खन्ना को जानना होगा। श्री शेख उन्हीं की जादूगरी से नौकरी पर हैं।
संस्थान के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर प्रो. ए.एस. खन्ना ने फैकल्टी चयन में मनमानी के जो आरोप लगाए हैं वे असिस्टेंट प्रोफेसर मोबिन शेख के मामले में सही साबित हो रहे हैं। आरटीआई में मिली जानकारी के अनुसार मोबिन सेकंड डिवीजन पास है। जिस रिसर्च पर उनका चयन असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में किया वह डायरेक्टर प्रदीप माथुर की ही देखरेख में हुए हैं। मोबिन ने जिस वक्त आईआईटी इंदौर में जॉब के लिए आवेदन किया तब भी वे माथुर की देखरेख में प्रोजेक्ट कर रहे थे।
12वीं में 56 और एमएससी में 55 प्रतिशत अंक- मोबिन ने महाराष्ट्र बोर्ड से 12वीं 56.33 प्रश से पास की है। इसी प्रकार एमएससी मुंबई यूनिवर्सिटी से की है जिसमें महज 55.6 प्रतिशत नंबर थे। नियमों में दी ढील- भर्ती का जो विज्ञापन आईआईटी इंदौर ने दिया था उसमें असि. प्रोफेसर के लिए पीएचडी के साथ पीजी डिग्री में फर्स्ट क्लास पास अनिवार्य था। विज्ञापन के अंत में एक शर्त लिखी थी कि रिसर्च वर्क अच्छा हो तो शैक्षणिक योग्यता संबंधी सभी नियम शिथिल किए जा सकते हैं। डायरेक्टर द्वारा मोबिन के चयन में इसी शर्त का सहारा ले लिया गया।
जिसे मर्जी आई नौकरी दे दी
डायरेक्टर ने अपने चहेते कुछ ऐसे लोगों को नौकरी पर रख लिया है जिनमें बी.टेक की क्लास लेने तक की हिम्मत नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि वे खुशामदी लोगों को पसंद करते हैं। केंद्र द्वारा आईआईटी जैसे संस्थानों के लिए बनाए गए भर्ती नियमों की भी अनदेखी की गई।
प्रो ए.एस. खन्ना, पूर्व डायरेक्टर आईआईटी इंदौर
मामले में मुझे कुछ नहीं कहना है, आप हमारे डायरेक्टर से बात कर लें।
मो. मोबिन शेख मजीद
आईआईटी इंदौर में असिस्टेंट प्रोफेसर
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डायरेक्टर से कई बार उनका पक्ष जानना चाहा लेकिन उन्होंने कुछ कहने से इनकार कर दिया।