भोपाल। पिछले दिनों सत्यापन के दौरान इन्दौर में थोकबंद फर्जी डीएड सर्टिफिकेट्स पकड़े गए थे। अब इसी प्रक्रिया में राजधानी में भी वैसे ही जाली सर्टिफिकेट्स मिले हैं। जबलपुर से शुरू हुए इस गोरखधंधे में अभी तक मास्टमाइंड का पता नहीं चल पाया है, जबकि यह तय हो गया है कि पूरे प्रदेश में सैंकड़ों जाली सर्टिफिकेट्स बेचे गए हैं।
भोपाल में संविदा शाला शिक्षक वर्ग-3 की भर्ती के लिए आयोजित सत्यापन प्रक्रिया में करीब एक दर्जन डीएड प्रमाण-पत्र फर्जी पाए गए हैं। इन प्रमाण-पत्रों की जांच अभी जारी है। इसमें एक बड़े रैकेट की शामिल होने की बात कही जा रही है। यह प्रमाण-पत्र अकेले राजधानी के सत्यापन केंद्रों से पकड़े गए हैं।
यदि प्रदेशभर की बात की जाए, तो फर्जीवाड़े का मामला और बढ़ने की संभावना व्यक्त की जा रही है। इस मामले में अभ्यर्थियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। गौरतलब है कि संविदा शाला शिक्षक वर्ग-3 की भर्ती प्रक्रिया के तहत प्रथम चरण में 1 मार्च से 12 मार्च तक दस्तावेजों के सत्यापन का कार्य प्रदेशभर में किया गया था। यह प्रक्रिया प्रदेश में वर्ग-3 के करीब 50 हजार पदों एवं भोपाल में 194 पदों के लिए आयोजित की गई थी। इस दौरान राजधानी में सत्यापन प्रक्रिया के लिए पांच केंद्र बनाए गए थे।
इस प्रक्रिया में अभ्यर्थियों के करीब एक हजार आवेदन प्राप्त हुए थे। पहले चरण की प्रक्रिया में डीएड पात्रता प्राप्त अभ्यर्थियों से आवेदन मंगाए गए थे। आवेदनों को वेरीफिकेशन के लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल भेजा गया है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार आवेदनों में डीएड के एक दर्जन प्रमाण- पत्र फर्जी पाए गए हैं। इससे विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
इस बारे में जब डीईओ सीएम उपाध्याय से बात की गई, तो उन्होंने गोलमाल जवाब दिया। इन फर्जी प्रमाण- पत्रों में कुछ जगह समान अंक पाए गए हैं। वहीं, कुछ रोल नंबर भी एकसमान हैं। इसमें किसी बड़े रैकेट के शामिल होने का अंदेशा लगाया जा रहा है, जो प्रदेशभर में सक्रिय है। इसके लिए जांच शुरू कर दी गई है। यदि किसी ऐसे रैकेट का खुलासा हुआ तो सैकड़ों प्रमाण-पत्र फर्जी पाए जा सकते हैं।