इंदौर। तलावली चांदा स्थित आचार्य ज्ञान आयुर्वेदिक कॉलेज के 75 वर्षीय चेयरमैन व दोनों संचालक पुत्रों को जिला अदालत ने जमानत आवेदन खारिज कर जेल भेज दिया। निचली अदालत ने ईओडब्ल्यू इंदौर द्वारा पेश की गई चार्जशीट पर तीनों के गैरहाजिर रहने पर गिरफ्तारी वारंट जारी कर 8 मार्च को पेश करने के आदेश दिए थे।
उधर, हाई कोर्ट ने 14 मार्च तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। आरोपी निचली अदालत द्वारा तय तारीख के एक दिन पूर्व ही (7 मार्च) ऊपरी अदालत में पेश हो गए, जो उन्हें महंगा पड़ गया।
गुरुवार को विशेष न्यायाधीश राजीवकुमार श्रीवास्तव के समक्ष कॉलेज चेयरमैन डॉ. ज्ञानचंद जैन, उसके संचालक पुत्र डॉ. अनुराग जैन व मनीष जैन ने सरेंडर करते हुए जमानत आवेदन प्रस्तुत किया। अधिवक्ता गिरीश देसाई ने तर्क देते हुए कहा- तीनों निर्दोष हैं। डॉ. ज्ञानचंद वृद्ध हैं। अत: उन्हें जमानत दी जाए। ईओडब्ल्यू के विशेष लोक अभियोजक अश्लेष शर्मा ने जमानत का विरोध करते हुए कहा-मामला गंभीर है। जमानत का लाभ नहीं दिया जाए। इस पर अदालत ने तीनों को जिला जेल भेजने का वारंट जारी कर दिया।
ईओडब्ल्यू द्वारा 26 फरवरी को चालान पेश करने के बाद निचली अदालत द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट के खिलाफ तीनों आरोपी 27 फरवरी को हाई कोर्ट इंदौर गए थे। हाई कोर्ट ने 14 मार्च तक ईओडब्ल्यू को गिरफ्तार नहीं करने का आदेश दिया था, लेकिन उनका गिरफ्तारी वारंट अस्तित्व में था। साथ ही हाई कोर्ट ने आरोपियों को 14 मार्च के पूर्व जिला अदालत की संबंधित अदालत में सरेंडर करने के आदेश दिए थे। ईओडब्ल्यू ने तो उन्हें गिरफ्तार नहीं किया, कोर्ट ने जेल भेज दिया।
जिला कोर्ट में ऐसे चला घटनाक्रम
फरवरी अंत में ईओडब्ल्यू ने न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीबीआई-ईओडब्ल्यू) डॉ. शुभ्रा सिंह की अदालत में चालान पेश किया था। तब तीनों आरोपियों के हाजिर नहीं होने पर अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी करते हुए 8 मार्च को हाजिर होने के आदेश दिए थे।
आरोपी 7 मार्च को सीधे जिला एवं सत्र न्यायाधीश एसएस सिसौदिया के समक्ष पेश हो गए। > जज सिसौदिया ने डॉ. सिंह के यहां से प्रकरण का रिकॉर्ड मंगवाकर सीबीआई जज अनुपम श्रीवास्तव की अदालत में जमानत आवेदन पेश करने के आदेश दिए।
ईओडब्ल्यू की ओर से विशेष लोक अभियोजक शर्मा ने आपत्ति ली कि यह सीबीआई कोर्ट है, इसलिए विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार अधिनियम) के यहां केस भेजा जाए। इस पर जिला जज ने जमानत आवेदन विशेष न्यायाधीश श्रीवास्तव की अदालत में भेजा जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया।
ये है मामला
आरोपियों ने कॉलेज का निर्माण नक्शे के विरुद्ध किया। साथ ही भारतीय चिकित्सा परिषद (सीसीआईएम) नई दिल्ली को झूठी जानकारी देकर मान्यता प्राप्त की। 2005-06 में संबद्धता खत्म होने पर भी छात्रों को प्रवेश देकर अवैध कमाई की। ईओडब्ल्यू के विधि अधिकारी आशीष खरे के अनुसार जांच में कॉलेज स्थित अस्पताल के डॉक्टरों व स्टाफ के पते भी गलत निकले जो परिषद के निरीक्षण में बताए थे। अनियमितता संबंधी शिकायत डॉ. गोविंद गोयल ने की थी। ईओडब्ल्यू ने तीनों के खिलाफ 11 मई 2011 को प्रकरण दर्ज किया था।