राकेश दुबे@प्रतिदिन। सुमित्रा ताई भाजपा के साथ साथ कांग्रेस में भी श्रद्धा से लिया जाने वाला एक नाम है| वे एक न्यायिक परिवार से ताल्लुक रखती हैं| इस कारण खुद कोई अन्याय करेंगी, ऐसा सोचना गलत है|
नियम विरुद्ध फ्लैट का मामला प्रकाश में आते ही उन्होंने अपना आवंटन समर्पित कर दिया| ताई के पति स्व. जयंत महाजन की गिनती इंदौर के श्रेष्ठ अधिवक्ताओं में होती थी| ताई ने यह मिसाल भाजपा और कांग्रेस के उन सभी सांसदों और विधायकों के लिए कायम की है, जो भोपाल में सांसद/ विधायक कोटे से हाउसिंग बोर्ड अथवा किसी अन्य शासकीय अधिकरण से एक मकान होने के बावजूद एक और मकान लेना चाहते है|
कुछ सांसद/ विधायक अपने को सारे नियमों से उपर मानते है| झूठा शपथ पत्र देकर भोपाल के रिवेरा टाउनशिप मकान लेने वालों के नाम सब जानते हैं| मकान लेकर क्या करते है| देखना है तो भोपाल के रंगमहल सिनेमा के सामने कतार से बने मकान देखें इनमें जनप्रतिनिधि के निवास के अलावा सब कुछ होता है| फिर भी दिल नहीं भरता , निजी क्षेत्र में इनके हाथ और ज्यादा लम्बे है| प्रदेश के एक धुरंधर राजनेता ने तो अपने पालतुओं तक के नाम पर जमीने ली थी| वे तो चले गये, इन जमीन पर उनकी संतति लड रही है|
क्या यह सब कभी पक्ष तो कभी प्रतिपक्ष के बहाने नहीं दिखता है| दिखता तो है, पर कहे कौन ? कुछ तो ऐसे महापुरुष भी है जिन्होंने विधायक रहते हुए मकान लिया, फिर सांसद हए तो मकान लिया| एक निर्वाचन क्षेत्र में एक भोपाल में एक दिल्ली में| भोपाल दिल्ली और भारत में कहीं भी जाने पर भूतपूर्व होने पर भी सरकारी विश्रामगृह की सुविधा जीवन भर लेने वालों को इतने मकानों कि आवश्यकता क्यों है ?
परिवार तो दोनों दशाओं में कहीं एक जगह ही रहेगा| कुछ के प्रतिलिपि परिवार भी है तो एक और| समाज इनसे ही सीखता है, इन्हें ताई से सीखना चाहिए|
- लेखक श्री राकेश दुबे प्रख्यात पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।