कैसी हिकमत सिखा रहे हैं, ‘तीनों बंदर’ माई के...!

shailendra gupta
राकेश दुबे@प्रतिदिन। इटली सरकार का हमने जोरदार विरोध किया है क्या? अपने राजदूत को कार्यभार ग्रहण करने से रोक दिया| हमें खतरा लग रहा है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय 18 मार्च को कोई कड़ा निर्णय न ले ले| पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के साथ हमारे हुक्काम लंच खाते रहे और वहाँ जाते ही राजा परवेज़ के नेतृत्ववाली पाक संसद अफजल गुरु का शव मांगने लगी, याद रहे पाक ने पहले तो कसाब को भी अपना मानने से इंकार कर दिया था|

श्री लंका नौ सेना पुलिस फिर भारतीय मछुआरों को उठा ले गई है| हम बातचीत करेंगे वैद्यनाथ मिश्र उर्फ़ बाबा नागार्जुन कि कविता याद आती है थोड़े संशोधन के साथ| बाबा नागर्जुन से क्षमा संशोधन के लिए| उनकी कविता में  “बापू” के स्थान पर  “माई” करने के लिए|

पहले इटली - उनके राजदूत के खिलाफ कदम उठाने की जगह अपने राजदूत को रोकने से सम्वाद ही बंद ,क्या कड़ा कदम है| जनता धन्य-धन्य कह रही है| फिर पाकिस्तान - पकिस्तान की संसद को ऐसा नही करना था| अरे भैया आपको किसने रोका है, एक बार वहाँ जाकर बिरयानी खाओ और यहाँ आकर दाउद इब्राहीम या हाफिज सईद को मांग कर तो  दिखाओ| जनता आपका अभिवादन करेगी| श्री लंका और बांग्ला देश –मन्दिर तोड़े, चाहे  मछुआरों को पकड़े| हम बातचीत करेंगे |क्या करें आपके साथ ?

प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और विदेश मंत्री के बगैर इन मुद्दों पर किसी भी प्रकार का निर्णय कोई नहीं ले सकता| संसद में भी इनके पूछे बगैर संसदीय कार्य मंत्री कुछ नही कहते| ये ही तो  माई के तीन बन्दर है |

हमें अंगूठा दिखा रहे हैं ,तीनों बंदर माई के |
कैसी हिकमत सिखा रहे हैं, तीनों बन्दर माई के |


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