दिव्य चंद्रमौलीश्वर शिवलिंग: केवल शंकराचार्य को है पूजन का अधिकार

shailendra gupta
आशीष जैन/द्वादश ज्योर्तिलिंग बारह हैं पर कैलाशपति भगवान भोलेनाथ का चंद्रमौली स्वरूप सिर्फ एक है। संपूर्ण विश्व सहित भारत में शिवलिंग का विधान और पूजन, अर्चन करने का सौभाग्य सभी को है परंतु देवाधिदेव भगवान शिव के चंद्रमौलीश्वर शिवलिंग के पूजन अधिकृत अधिकारी होते हैं सिर्फ शंकराचार्य। खास बात यह भी है कि चंद्रमौली शिवलिंग के साक्षात् दर्शन भारत के तीनों शंकराचार्यो में से सिर्फ एक के पास होते हैं और वे है द्वारका एवं शारदा पीठाधीश्वर, शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी सरस्वती महाराज।

आदिगुरू ने दिया था शिवलिंग -

कहा जाता है कि भगवान शंकर ने स्वयं भगवान आदिगुरू शंकराचार्य जी को कैलाश यात्रा के अवसर पर यह दिव्य चंद्रमौली शिवलिंग दिया था। यह भी कहा जाता है कि भगवान शंकर ने चार शिवलिंग दिये थे परंतु इस समय केवल द्वारका पीठ के चंद्रमौलीश्वर का ही दर्शन व विवरण प्राप्त होता है। शंकराचार्य को उनकी उपाधि के साथ यह चंद्रमौली शिवलिंग दिया जाता है। साक्षात भगवान शिव के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से दिए गये इस चंद्रमौली शिवलिंग का दर्शन ही अमोद्य होता है, दिव्य है व अपना विशेष प्रभाव रखता है।

चंद्रमौलीश्वर के पूजन व दर्शन -

पुराणों में वर्णित द्वादश ज्योर्तिलिंगों का दर्शन भारत भूमि में सभी को प्राप्त होता है। उसी प्रकार इन चंद्रमौलीश्वर के पूजन व दर्शन का भी सुगमता से महत्व द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंदजी सरस्वती महाराज के सानिध्य में श्रद्धालुओं को प्राप्त होता है। द्वादश ज्योर्तिलिंग अपने अपने स्थानों पर सुप्रतिष्ठित हैं परंतु दिव्य चंद्रमौली शिवलिंग शंकराचार्य जी के पूरे भारतवर्ष में भ्रमण करने से पूरे भारतवर्ष में दर्शन के लिए सुलभ है। इसका महत्व ज्योर्तिलिंग से कम नहीं है, यह शंकराचार्य जी के साथ सदैव रहता है व वे अपने प्रतिदिन का प्रारंभ चंद्रमौलीश्वर के पूजन, अभिषेक से ही करते हैं।

मणिलिंग भी कहते हैं -

कहा जाता है कि चंद्रमौलीश्वर का अर्थ होता है कि चंद्रमा की निष्कलंक दूज की कला जिनके मस्तक में शोभित हो रही है वह चंद्रमौलीश्वर हैं। इन्हें मणिलिंग भी कहा जाता है। भगवान शिव के इस साक्षात स्वरूप के दर्शन की आकांक्षा किसे नहीं होगी और देश के लाखों भक्तों की भोलेनाथ के इस दिव्य स्वरूप के दर्शन, पूजन की आकांक्षा द्वारका एवं शारदा पीठाधीश्वर, शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी सरस्वती महाराज के सानिध्य में पूर्ण होती है।

आशीष जैन
9425467816
aashishjain@journalist.com

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