सीहोर। बुधवार को कश्मीर में एक आत्घाती हमले में आंतकवादियों ने बेमिना क्षेत्र में सीआरपीएफ के एक शिविर में हमला कर दिया जिसमें पाँच जवान शहीद हो गए और सात अन्य घायल हो गए। शहीद हुए जवानों में सीहोर जिले का एक जवान शामिल है जिसके शहीद होने की खबर से पूरे गांव में सन्नाटे जैसा वातावरण बन गया है।
गुरुवार को शहीद सैनिक की पार्थिव देह को गांव लाया जाएगा जहां दोपहर दो बजे पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी।
प्राप्त जानकारी अनुसार कश्मीर के बेमिना क्षेत्र में हुए हमले में सीहोर जिले की तहसील इछावर के ग्राम शाहपुरा जमोनिया फतेहपुर निवासी 30 वर्षीय ओमप्रकाश मुर्रदानिया आंतकवादी हमले में शहीद हो गया। इसकी जानकारी शाम पाँच बजे उसके परिजनों को मिली तो सैनिक की पत्नी सहित परिजनों पर बिजली ही गिर गई पूरे गांव में यह खबर आग से भी अधिक तेजी के साथ फैल गई देखते ही देखते सारा का सारा गांव ओमप्रकाश के घर पर एकत्रित होने लगा किसी को इस खबर पर भरोसा ही नहीं हो रहा था उनका अपना ओमप्रकाश अब उनके बीच नहीं रहा है। बताया जाता है कि प्रशासनिक अधिकारियों को भी जैसे ही इस बात की जानकारी मिली वैसे ही वहां पर व्यवस्थाओं को अंजाम देना प्रारंभ कर दिया गया।
यहां पर हेलीपेड बनाया जा रहा है जहां पर विशेष विमान से ओमप्रकाश के शव को लाया जाएगा गुरुवार की दोपहर में दो बजे उनके पार्थिव शरीर को पूरे राजकीय स ाान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी इस खबर को सुनकर न केवल इछावर बल्कि आसपास के भी कई गांवों से लोग ग्राम शाहपुरा पहुंच गए। सभी इस खबर को सुनकर दंग रह गए। जिसने भी सुना उसकी आं ों नम हो गई। बताया जाता है कि ओमप्रकाश की शहादात की खबर सुनकर उसकी 25 वर्षीय पत्नी कोमल एकदम अचेत सी हो गई उसका रो रोकर बुरा हाल है उसके दोनों बच्चों को समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या हो गया है।
क्या पता था लौटकर नहीं आएगा
सीहोर। शहीद जवान पन्द्रह दिन पहले ही छुट्टी मनाकर वापस कश्मीर गया था, जिस समय वो गांव से जा रहा था तब किसी को इस बात का यकीन नहीं था कि वो अब लौटकर कभी गांव नहीं आएगा। बताया जाता है कि छह माह पहले ओमप्रकाश के पिता गलजी का निधन हो गया था उनके निधन पर ओमप्रकाश अपने गांव आया था और छुट्टी समाप्त होने पर पन्द्रह दिन पहले ही ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए रवाना हुआ था आज कई सारे लोगों की आंखों के
सामने उसका चेहरा घूम रहा था
सीहोर। शहीद जवान ओमप्रकाश ने पांच साल पहले देश की रक्षा का संकल्प लेते हुए सीआरपीएफ ज्वाइन की थी उसके पांच भाई है जिसमें से एक भाई सीआरपीएफ में पहले से है तथा तीन गांव में ही खेती किसानी करते है। उसका विवाह आठ साल पहले कोमल के साथ हुआ था जिससे उसे एक साल का लड़का और एक चार साल की लड़की भी है। उसकी पत्नी शहीद ओमप्रकाश की माता के साथ रहती है। बुधवार की शाम पांच बजे एसडीएम और तहसीलदार द्वारा गांव के सरपंच रामनारायण को खबर दी और कुछ ही देर में बात पूरे गांव में फैल गई और प्रशासनिक हलचल बढ़ जाने के साथ ही मीडिया कर्मी भी वहां पहुंच गए।
कई अधिकारी आएंगे अंतिम विदाई देने
सीहोर। शहीद जवान ओमप्रकाश की पार्थिव देह को विशेष विमान से लाया जा रहा है। जिसके लिए ताबड़तोड़ में हेलीपेड बनाया जा रहा है जिसके लिए इन पंक्तियों के लिखे जाने तक प्रशासनिक अधिकारियों का काफिला जुटा हुआ है। ऐसा माना जा रहा है उसके शव के साथ सीआरपीएफ के अधिकारी भी आएंगे और उनकी मौजदूगी में ही ओमप्रकाश को अंतिम विदाई दी जाएगी।
पूरे गांव में सन्नाटा
सीहोर। शहीद जवान ओमप्रकाश के गांव में तूफान के बाद के सन्नाटे जैसा वातावरण बन गया जहां गांव वालों का देश के लिए शहादत करने वाले ओमप्रकाश पर गर्व हो रहा है वहीं उसके असमय जाने का भी गम सता रहा है। हर कोई ओमप्रकाश की यादों को बांट रहा था करीब सीआरपीएफ में जाने से पहले ओमप्रकाश आदिम जाति कल्याण कांगे्रस का ब्लाक अध्यक्ष भी रह चुका है।