भोपाल। अब आपके मकान, दुकान पर निजी कंपनियों की नजर रहेगी। आपका मकान कितना बड़ा है, उसकी मार्केट वैल्यु कितनी है, टैक्स कितना बनता है... जैसी हर जरूरी बातों का लेखा-जोखा इन कंपनियों के पास होगा।
दरअसल नगर निगम भोपाल टैक्स लेनदेन में हो रही गडबड़ी रोकने के लिए नया कदम उठाने जा रही है। इसके तहत शहर की संपत्तियों की जानकारी नए सिरे से तैयार की जाएगी। कंपनी हर वार्ड की संपत्तियों का नए सिरे से खाका तैयार करेगी। निगम को उम्मीद है कि इससे सालाना मिलने प्रॉपर्टी टैक्स में करोड़ों रुपए का फायदा होगा। गौरतलब है कि नगर निगम द्वारा कराए गए हाउस होल्ड सर्वे केअनुसार शहर में 4 लाख 25 हजार संपत्तियां हैं।
वहीं निगम के खाते में 2.5 लाख से ज्यादा के टैक्स जमा नहीं होते हैं। सर्वे के अनुसार सभी संपत्तियों का टैक्स करीब सवा अरब रुपए बनता है, जबकि निगम के खाते में कभी 85 से 90 करोड़ रुपए से ज्यादा जमा नहीं होते हैं। ऐसे होता है फर्जीवाड़ा : कर्मचारी टैक्स पेमेंट के दौरान मकान या दुकान के क्षेत्र का सही उल्लेख न कर काल्पनिक आधार पर ही प्रॉपर्टी टैक्स का निर्धारण कर देते हैं। वे कुल निर्माण क्षेत्र वास्तविक क्षेत्र से कम दर्शाते हैं। ऐसे में स्वत: संपत्ति कर कम हो जाता है। इसमें भवन स्वामी को भी फायदा होता है।