भोपाल। शहडोल में निजी भूमि पर वनविभाग के अवैध कब्जे के मामले में सत्ता पक्ष के मंत्री और कांग्रेस के विधायक ठीक वैसे ही उलझ गए जैसे पड़ौसी महिलाएं बात का बतंगड़ बना डालतीं हैं।
सत्ता पक्ष की ओर से अव्वल तो वनमंत्री सरताज सिंह ने गलत उत्तर और तर्क प्रस्तुत किए। समर्थन में नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर ने भी स्वयं को भाग्यविधाता मानते हुए ऐसी टिप्पणी कर डाली जिसे विलोपित करना पड़ा। कांग्रेस ने आपत्ति भी जताई कि यह अदालत की अवमानना है। बाद में नरोत्तम मिश्रा ने जांच के नाम पर मामले को शांत कराने का प्रयास किया।
इधर कांग्रेस की ओर से विधायक एनपी प्रजापति ने वनमंत्री से ऐसे सवाल किए जिन पर विधानसभा अध्यक्ष को उन्हें मर्यादा में रहने की चेतावनी देनी पड़ी। इस दौरान कांग्रेस विधायक गोविंद सिंह ने भी समय का मूल्य समझाते हुए ऐसी टिप्पणी कर डाली जिसे कार्यवाही से निकालना पड़ा।
कुल मिलाकर पूरा विवाद ठीक वैसे ही हुआ जैसे मोहल्ले में पड़ौसी महिलाओं के बीच हुआ करता है। बहस होती है, हंगामा होता है और फिर वाकआउट। दूसरे दिन फिर हम साथ साथ हैं।