उपदेश अवस्थी@लावारिस शहर। गांधी एंड संस की एफिलेट कंपनी कांग्रेस कार्पोरेट्स ने अब मध्यप्रदेश कांग्रेस को भी प्राइवेट लिमिटेड बना दिया है। वाइसप्रेसीडेंट राहुल गांधी ने एमपी में अगले तीन महीने का वर्किंग प्लान मांगा है और प्रेजेंटेशन देने के लिए कांतिलाल भूरिया व अजय सिंह उड़ गए हैं दिल्ली के लिए।
मध्यप्रदेश में मुद्दों को धीरे से उठाने और फिर फालोअप न करने वाली कांग्रेस पर लगातार शिवराज सरकार से फिक्सिंग के आरोप लगते रहे हैं। कांतिलाल भूरिया के बारे में तो यहां तक कहा गया है कि वो शिवराज सिंह के पेरोल पर काम करते हैं। अब ऐसे नेताओं को व्हीपी ने शिवराज सरकार के खिलाफ वर्किंग प्लान बनाने का काम सौंपा है।
व्हीपी का अब मध्यप्रदेश में इंटरफेयरेंस लगातार बढ़ता जाएगा, लेकिन वर्किंग प्लान बुलाने के बाद यह तय हो गया कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस जनता से जुड़कर नहीं बल्कि मार्केटिंग स्ट्रेटजी पर काम करेगी। वर्किंग प्लान बनाए जाएंगे, स्ट्रेटजी तय होगी। केम्पेन होगा।
जब स्क्रीन पर देखेंगे तो चुनाव से पहले ऐसा लगेगा मानो पूरे मध्यप्रदेश में कांग्रेस ही कांग्रेस है, परंत 30 हजार से ज्यादा ग्राम पंचायतों वाले इस प्रदेश में इन सबका क्या लाभ होगा यह मध्यप्रदेश के राजनैतिक पंडित तो अभी से भविष्यवाणी कर सकते हैं। अब समझ में आया यूपी में राहुल गांधी फैल क्यों हो गए थे।
हालांकि व्हीपी तक अपनी बात नहीं पहुंच पाएगी, लेकिन जब मौका मिला है तो कह ही डालते हैं कि, इस एक्सरसाइज की कोई जरूरत नहीं है:-
- मध्यप्रदेश में कांग्रेस की हार का कारण गुटबाजी नहीं है
- मध्यप्रदेश में कांग्रेस की हार का कारण शिवराज की लोकप्रियता नहीं होगी।
- मध्यप्रदेश में कांग्रेस की हार का कारण दिग्विजय सिंह का विरोध भी नहीं होगा।
- मध्यप्रदेश में कांग्रेस की हार का कारण मुद्दों को ना उठाना या चुप रहना भी नहीं होगा।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की हार का कारण केवल एक होगा और वो है मामलों को उठाने के बाद चुप हो जाना। उनको फालो न करना। आवाज उठाना परंतु आंदोलन को पार्टटाइम जॉब मानकर उसमें चार घंटे से ज्यादा समय ना देना।
अपनेराम तो केवल यह कहना चाहते हैं कि यदि मध्यप्रदेश में कांग्रेस इससे भी ज्यादा गुटों में बंट जाए, परंतु जो भी मामले उठाए उनको नतीजों तक फालो करे और कम से कम एक सप्ताह तक फुलटाइम आंदोलन करने का मूड बना ले तो, सब जानते हैं कि शिवराज सरकार न केवल संकट में आ जाएगी बल्कि सूपड़ा ही साफ हो जाएगा।
लेकिन सवाल यह उठता है कि सत्ता के आदी हो चुके कांग्रेसियों में लम्बे आंदोलन चलाने की हिम्मत ही नहीं हैं, राजा नहीं तो जागीरदार सही, कांग्रेस में रहकर कांग्रेस के गद्दार सही, सरकार बने न बने, मलाई मिलती रहनी चाहिए।
जय हिन्द