दिलीप सिकरवार। इसे कहते हैं जब सियार की मौत आई तो शहर की तरफ भागना. आम लोगों को ये चोर कई दिनों से निशाना बना रहे थे. एक दिन मौका देख बैतूल की महिला डीएसपी (जो वर्दी में नहीं थी) पर हाथ दाल दिया. यही हरकत उन्हें भारी पढ़ गयी.
पुलिस भी इसलिए हरकत में आई, क्योंकि शहर में यह चर्चा गर्म रही की जब पुलिस वाले ही सुरक्षित नहीं तो आम लोगों की क्या बिसात? लिहाजा पुलिस ने अपना दामन पाक कर लिया. चोर अब गिरफ्त में थे.
मनीष चंदेल और संदीप महरा शातिर तो नहीं किन्तु शौकिया चोर बन गये. अपने शौक की खातिर बाइक ले ली किन्तु उसकी किश्त कैसे जमा करे? बैंक की किश्त चुकाने और खर्चे पूरे करने के लिए इन्होने कई वारदातों को अंजाम दिया.
चंद दिनों में एक के बाद एक चैन स्नेचिंग की घटना ने पुलिस की नींद हरम कर दी थी. पहले जो लोग लुटे गये उन्होंने पुलिस के पचड़े में नहीं पड़ते हुए रिपोर्ट दर्ज नही कराइ. अजाक पुलिस की अधिकारी विमला चौधरी भी लूट का शिकार होने वाली थी. सिविल ड्रेस की वजह से आरोपी उन्हें पहचान नहीं पाए. दोनों ने पता पूछने के बहाने चौधरी की चैन पर हाथ डाला तो आफत गले पढ़ गयी. पुलिसिया दाव देख कर मनीष और संदीप भाग निकले. इधर पुलिस उन्हें ढूंढ रही थी. आखिर कार दोनों पलिस के हत्थे चढ़ गये. अपना जुर्म कबूल लिया.